हिंदुओं में ऐसी मान्यता है कि इस दुनिया का सबसे पुराना धर्म हिंदू सनातन धर्म है। इसके अनुसार माना जाता है कि ब्रह्मा का कर्म है सृष्टि की रचना करना, भगवान विष्णु का कर्म है उसका संचालन करना और भगवान शिव का कर्म है विनाश करना। वैसे तो हिंदू धर्म में हर धार्मिक ग्रंथों की अपनी एक विशेष महत्ता है, मगर बात जब गरुड़ पुराण की आती है, तो इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है. दरअसल,
गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में से एक है. वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित ‘गरुड़ पुराण’ सनातन धर्म में मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना जाता है। इसलिये सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद ‘गरुड़ पुराण’ के सुनने का प्रावधान है। गरूड़ पुराण में उन्नीस हजार श्लोक कहे जाते हैं, किन्तु वर्तमान समय में कुल सात हजार श्लोक ही उपलब्ध हैं। गरूड़ पुराण में ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, व्यावहारिक जीवन, आत्म, स्वर्ग, नर्क और अन्य लोकों का वर्णन मिलता है। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारणको प्रवृत्त करने के लिए अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें आयुर्वेद, नीतिसार आदि विषयों के वर्णनके साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किए जाने वाले कृत्यों का विस्तार से निरूपण किया गया है।
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