जातीय जनगणना कराने को लेकर केंद्र सरकार से इंकार के बाद भी बिहार सीएम इस मुद्दे पर डटे हैं। उनका कहना है कि सर्वदलीय बैठक के बाद इस संंबंध में फैसला लेंगे। ऐेसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सीएम बिहार में अपने बूते जातीय जनगणना कराने का फैसला ले सकते हैं।
नई दिल्ली। जातिगत जनगणना के मुद्दे पर बिहार की राजनीतिक पार्टियां पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। तेजस्वी यादव इस मुद्दे पर विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। तो वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के रवैये से खुश नजर नहीं आ रहे हैं। कल गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा था कि सरकार को इस विषय में फिर से विचार करने की आवश्यकता है। अब माना जा रहा है कि बिहार के सीएम जल्द ही इस संबंध में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
सीएम ने गिनाए जातीय जनगणना के फायदे
बता दें कि कल गृहमंत्री अमित शाह ने कल 10 नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जातिय जनगणना के फायदे गिनाते हुए सरकार से इस संबंध में एक बार फिर से विचार करने की अपील की थी। नीतीश ने कहा कि जातीय जनगणना के कई फायदे हैं। इससे जो पीछे हैं, उन्हें आगे लाया जा सकेगा।
बिहार की सभी पार्टियां चाहती हैं जनगणना
उनका कहना है कि जातीय जनगणना न कराने को लेकर सरकार ने जो तर्क दिए जा रहे हैं वे उचित नहीं हैं। मेरा मानना है कि जातीय के साथ उपजातीय जनगणना भी कराई जानी चाहिए। इसके बाद भी केंद्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया न आने पर अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लेने के मूड में हैं। उनका कहना है कि इस विषय पर सर्वदलीय बैठक के बाद फैसला लेंगे। बता दें कि बिहार के 10 राजनीतिक दलों में से 9 जातिय जनगणना कराने के पक्ष में हैं।
यह भी पढ़ें: जातिगत जनगणना की मांग पर अड़े CM नीतीश कुमार, केंद्र को दी ये नसीहत
गौरतलब है कि जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव भी काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं। बिहार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना पर विपक्ष को एकजुट करने में जुटे हैं, इसके लिए उन्होंने नीतीश कुमार, सोनिया गांधी समेत 33 नेताओं को पत्र लिखकर उनका समर्थन मांगा है। बता दें कि बीते दिनों बिहार के सभी पार्टियों के नेताओं ने इस विषय में पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी।