देशभर में कोरोना महामारी का प्रकोप भले ही कम हो गया है, लेकिन अभी भी इसके स्थायी इलाज की कमी के कारण ज्यादातर लोगों ने खुद को घरों में बंद कर रखा है. ऐसे में एक रिपोर्ट का कहना है कि मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना से संक्रमित ऐसे रोगी जो सांस लेने में दिक्कत का सामना कर रहे हैं उन्हें इन दवाओं से फायदा मिल सकता है.
टाइप 2 डायबिटीज की दवा से कम होगा कोरोना का खतरा
रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से छह महीने पहले डायबिटीज के इलाज में ली जाने वाली दवाओं का इस्तेमाल करने कोरोना का खतरा भी कम हो सकता है. यह रिसर्च अमेरिका में पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर ने की है.
इस रिसर्च में तकरीबन 30 हजार से ज्यादा टाइप 2 डायबिटीज मरीजों के इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड पर रिसर्च की गई है. जो कि जनवरी से लेकर सितंबर 2020 के बीच कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे. शोधकर्ताओं की यह रिसर्च ‘डायबिटीज’ पत्रिका में प्रकाशित की गई है.
अमेरिकी रिसर्च में सामने आया तथ्य
जिसमें यह बताया गया है कि ग्लूकागोन-लाइक पेप्टाइड-1 रिसेप्टर (जीएलपी-1आर) दवा कोरोना संक्रमण से रोगी को सुरक्षा प्रदान कर सकती है. रिसर्च के अनुसार कहा गया है कि इस दवा टेस्ट कर यह पता लगाया जाना चाहिए कि यह कोरोना संक्रमण को रोकने में कहां तक कामयाब साबित हो सकती है.
वहीं इस रिसर्च पर काम कर रहे पेन स्टेट में प्रोफेसर पैट्रिसिया ग्रिगसन का कहना है कि वह इसे लेकर काफी उत्साहित हैं. उनके अनुसार ग्लूकागोन-लाइक पेप्टाइड-1 रिसेप्टर (जीएलपी-1आर) दवा कोरोना संक्रमण से काफी ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती दिख रही है. लेकिन इसे लेकर अभी कई और रिसर्च की जानी चाहिए.
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