एक रिसर्च में दावा किया गया है कि सीने में संक्रमण से पीड़ित बच्चों को आमतौर पर इस्तेमाल की जानेवाली एंटीबायोटिक से फायदा ‘होने की संभावना नहीं’ है. सीने में संक्रमण एक प्रकार का श्वसन से संबंधित संक्रमण है. साउथेम्पटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि डॉक्टरों को चाहिए कि बीमार युवाओं को अमोक्सीसिलिन देने से बचें.
सीने में संक्रमण के खिलाफ आम एंटीबायोटिक नहीं फायदेमंद
डॉक्टरों को अमोक्सिल के रूप में ब्रांडेड दवा सिर्फ उसी वक्त लिखना चाहिए जब उनको संदेह हो कि बच्चे को न्यूमोनिया है. केवल नुस्खे वाली दवा को सीन में संक्रमण से पीड़ित 432 बच्चों पर जांचा गया. युवाओं में छह महीने से लेकर 12 साल तक के शामिल थे. दवा लेनेवाले बच्चों ने देखा कि उनके लक्षण औसतन पांच दिनों में साफ हो गए. उसके मुकाबले प्लेसेबो लेनेवाले युवा छह दिनों तक बीमार रहे. आधे बच्चों को अमोक्सीसिलिन और आधे को प्लेसेबो दिया गया था. शोधकर्ताओं ने उनकी बीमारी की अवधि को मापने के लिए बच्चों को ट्रैक किया, और पाया कि ये दोनों ग्रुप के बीच समान था.
शोधकर्ताओं ने फैसला सुनाया कि गैर जटिल छाती में संक्रमण से पीड़ित बच्चों को अमोक्सीसिलिन ने ‘चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण लाभ’ नहीं दिया. उन्होंने बताया कि अमोक्सीसिलिन का बच्चों में गैर जटिल छाती के संक्रमण चिकित्सकीय रूप से प्रभावी होने की संभावना नहीं है. जब तक न्यूमोनिया संदिग्ध है, डॉक्टरों को छाती में संक्रमण दिखानेवाले ज्यादातर बच्चों के लिए एंटीबॉयॉटिक्स का नुस्खा नहीं लिखना चाहिए.
बीमार युवा को अमोक्सीसिलिन का नुस्खा न दें डॉक्टर-रिसर्च
शोधकर्ताओं का कहना है कि सीने में संक्रमण के लिए अमोक्सीसिलिन लेनेवाले बच्चे ज्यादा तेजी से ठीक नहीं होते हैं क्योंकि डॉक्टर सोचते हैं कि बच्चे को न्यूमोनिया है. वास्तव में बच्चों के छाती में संक्रण का इलाज करने के लिए न्यूमोनिया के बिना अमोक्सीसिलिन से मदद करने की संभावना नहीं है और हानिकारक हो सकता है. कोरोना वायरस समेत अन्य वायरस अन्य वायरस के विपरीत एंटीबॉयोटिक्स का इस्तेमाल सिर्फ उसी वक्त प्रभावी है जब बैक्टीरिया के संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जाए.
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