हिन्दू पंचाग {Hindu panchag } के मुताबिक प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को
कालाष्टमी {Kalashtami } का व्रत किया जाता है। इस बार कार्तिक मास की कालाष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर 2021 दिन बृहस्पतिवार को किया जाएगा। कालाष्टमी के दिन
भगवान महादेव {Lord mahadev } के रौद्र रुप भगवान बाबा कालभैरव { Baba Kalbhairav } के पूजन एवं उनको प्रसन्न करने का विधान है। इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता हैं कि बाबा कालभैरव के मुख्य रूप से आठ स्वरुप हुए हैं , जिनमें से आम जन के लिए बटुक भैरव {Batuk Bhairav }स्वरुप का पूजन करना बेहद लाभ प्रद माना जाता हैं। बटुक भैरव अपने भक्तों को अभय प्रदान करते हैं और ये भगवान भैरव का सौम्य स्वरूप है। तो वहीं काल भैरव को उग्र स्वरुप के लिए जाना जाता है। ये अपराधिक प्रवत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचंड दंडनायक हैं। भगवान भैरव के विषय में कहा जाता है कि अगर कोई इनके भक्त का अहित करता है तो उसे तीनों लोकों में कहीं शरण प्राप्त नहीं होती है। कालाष्टमी का व्रत करने से भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर संकट से रक्षा करते हैं। आइए आज इस लेख के माध्यम से जानतें हैं कि बाबा कालभैरव के पूजन की विधि और नियम तथा कालाष्टमी के दिन कैसे प्रसन्न किया जाता हैं बाबा भैरव को :
सर्वपितृ अमावस्या को गया में अर्पित करें अपने समस्त पितरों को तर्पण, होंगे सभी पूर्वज एक साथ प्रसन्न -6 अक्टूबर 2021