World Cancer Day 2022: हर साल दुनियाभर में 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. कैंसर से बचाव और उसके प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से विश्व कैंसर दिवस मनाने की शुरुआत साल 1933 में हुई थी. सबसे पहले विश्व कैंसर दिवस वर्ष 1993 में जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) के द्वारा मनाया गया था. कैंसर के खतरों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने और इसके लक्षण और बचाव के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो ये समझते हैं कि ये बीमारी छूने से फैलती है जिसके चलते लोग कैंसर के मरीजों से अच्छा व्यवहार नहीं करते. कैंसर के संबंध में फैली गलत धारणाओं को कम करने और कैंसर मरीजों को मोटीवेट करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है. आइय आज विश्व कैंसर दिवस के मौके पर जानते हैं महिलाओं में होने वाले 5 अहम कैंसर के बारे में.
ब्रेस्ट कैंसर (BREAST CANCER)
महिलाओं के लिए स्तन कैंसर एक बड़ी समस्या है. स्तन कैंसर के मामले देर से पता लगने के कारण मृत्यु दर बढ़ रही है. ब्रेस्ट कैंसर में जीन में म्यूटेशन की वजह से स्तन के कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होती है. आमतौर पर लोब्यूल्स और दुग्ध नलिकाओं में घुसकर, वह स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं. कुछ मामलों में, स्तन कैंसर स्तन के अन्य ऊतकों को भी प्रभावित कर सकता है.
रिस्क फैक्टर
-स्तन कैंसर की फैमिली हिस्ट्री यानी अगर आपके परिवार में किसी को पहले भी स्तन कैंसर रहा हो.
-अगर आप लंबे समय से ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स ले रही हैं.
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लक्षण
अगर कोई असामान्य गांठ ही, गांठ के आकार में परिवर्तन या दर्द होता है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें.
इलाज
मैमोग्राफी की जाती है ताकि छोटे घावों का पता लगा सके.
एमआरआई से ब्रेस्ट कैंसर के स्टेज का पता लगाया जाता है.
सर्वाइकल कैंसर (CERVICAL CANCER)
स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है. हालांकि अभी भी डॉक्टरों को कई अन्य प्रकार के कैंसर के पीछे छिपे कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार कारण काफी हद पता लगाए जा चुके हैं. यही वजह है कि इससे बचाव का रास्ता भी बाकी कैंसर की तुलना में आसान माना जाता है. ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) का संक्रमण सर्वाइकल कैंसर का अहम कारण है. एचपीवी के कई प्रकार हैं और इनमें से हाई रिस्क वाले एचपीवी सर्वाइकल कैंसर के 70 से 80 प्रतिशत मामलों का कारण बनते हैं. आमतौर पर शरीर इससे निपटने में सक्षम होता है, लेकिन कुछ मामलों में वायरस महिलाओं की सर्वाइकल कोशिकाओं में रुका रह जाता है, जिसकी वजह से डीएनए में बदलाव होते हैं.
रिस्क फैक्टर
-बहुत कम उम्र में संभोग करना (16 वर्ष से कम)
-एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर का होना
-धूम्रपान करना
-मानव पेपिलोमावायरस संक्रमण (एचपीवी)
-इम्यूनोसप्रेशन
लक्षण
-असामान्य रक्तस्राव, संभोग के बाद रक्तस्राव और योनि स्राव
इलाज
-एसिटिक एसिड (VIA) का निरीक्षण
-आयोडीन (VILI) की जांच
-एचपीवी-डीएनए परीक्षण
-कोलपोस्कोपी के तहत बढ़े हुए कैंसर की जांच
यूट्रस कैंसर (UTERUS CANCER)
यूट्रस के कैंसर को एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा के रूप में भी जाना जाता है, यह गर्भाशय में शुरू होता है जिसे एंडोमेट्रियम कहा जाता है. गर्भाशय का कैंसर महिलाओं में तेजी से बढ़ता जा रहा है. यह बीमारी काफी खतरनाक साबित होती है. आंकड़ों के मुताबिक, हर 70 महिलाओं में से एक को गर्भाशय कैंसर होता है. यूट्रस के अंदर एंडोमेट्रियम नाम की एक परत होता है. एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं जब यूट्रस में असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो कैंसर हो सकता है. इसके कारण न सिर्फ महिलाओं को मां बनने में दिक्कत आती है बल्कि उन्हें जान का खतरा भी रहता है.
रिस्क फैक्टर
-एस्ट्रोजन पर निर्भर कैंसर
-पॉलिसिस्टिक अंडाशय
-पीरियड्स की शुरुआत और देर से रजोनिवृत्ति (50 वर्ष की आयु के बाद)
-कैंसर गर्भाशय स्तन, अंडाशय और कोलन की फैमिली हिस्ट्री
-मोटापा, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज
लक्षण
पीरियड्स में कोई भी अनियमितता, रक्तस्राव, रजोनिवृत्ति के बाद के रक्तस्राव और अनहेल्दी योनि स्राव के दौरान सेक्सुअल कॉन्टेक्ट.
इलाज
-एंडोमेट्रियल के मोटापे या अनियमितता को जानने के लिए ट्रांसवेजिनल सोनोग्राफी (टीवीएस)
-पेल्विस की ज्यादा जानकारी के लिए एमआरआई किया जाता है
अंडाशय का कैंसर (OVARIAN CANCER)
ओवेरियन कैंसर अंडाशय से शुरू होता है. अंडाशय महिलाओं में पाई जाने वाली प्रजनन ग्रंथियां हैं. अंडाशय प्रजनन के लिए अंडों का उत्पादन करता है. अंडे फैलोपियन ट्यूब्स से गर्भाशय में जाते हैं, जहां निषेचित अंडा प्रवेश करता है और भ्रूण विकसित होता है. अंडाशय महिलाओं में हॉर्मोंस एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का मुख्य स्त्रोत है. बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में अंडाशय का कैंसर एक आम समस्या बनता जा रहा है. महिलाओं में होने वाले अन्य सभी कैंसर में ओवरी में कैंसर कोशिकाओं का विकास होने की संभावना लगभग 4 प्रतिशत है.
रिस्क फैक्टर
-इसका कोई रिस्क फैक्टर नहीं है और जब तक यह पता चलता है कि यह कैंसर पहले से ही अपने पहले चरण में पहुंच चुका होता है.
लक्षण
-पेट दर्द, अपच, पीठदर्द इस कैंसर के लक्षण हो सकते हैं
इलाज
-CA125 जैसा रक्त परीक्षण जो डिम्बग्रंथि के कैंसर में पाया जाता है
-कैंसर के फैलाव को जानने के लिए सीटी स्कैन / एमआरआई
कोलोरेक्टल कैंसर (COLORECTAL CANCER)
कोलोरेक्टल कैंसर वह कैंसर है जो कोलन या मलाशय में होता है. इसे कोलन कैंसर या रेक्टल कैंसर भी कहा जा सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर कहां से शुरू हो रहा है. कोलन कैंसर और रेक्टल कैंसर को अक्सर एक साथ रखा जाता है क्योंकि उनमें कई विशेषताएं एक जैसी होती हैं. कोलन बड़ी आंत या बड़ी बोवेल है. मलाशय वह मार्ग है जो कोलन को गुदा (एनस) से जोड़ता है. कोलन और मलाशय मिलकर बड़ी आंत बनाते हैं, जो पाचन तंत्र का हिस्सा है, जिसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) सिस्टम भी कहा जाता है. बड़ी आंत का अधिकांश भाग कोलन से बना होता है.
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अधिकांश कोलोरेक्टल कैंसर कोलन या मलाशय की आंतरिक परत पर वृद्धि से शुरू होते हैं. इस वृद्धि को पॉलीप्स कहा जाता है. कुछ प्रकार के पॉलीप्स समय के साथ कैंसर में बदल सकते हैं, लेकिन सभी पॉलीप्स कैंसर नहीं बनते हैं. पॉलीप के कैंसर में बदलने की संभावना उस पॉलीप के प्रकार पर निर्भर करती है.
रिस्क फैक्टर
-पुराना कब्ज
-कोलोरेक्टल कैंसर की फैमिली हिस्ट्री
-धूम्रपान करना
-फैट युक्त डाइट
इलाज
-मल डीएनए परीक्षण
-सीटी स्कैन
-मल में खून आना
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