Dyspraxia: क्या है डिस्प्रेक्सिया? कहीं आप में तो नहीं हैं इसके लक्षण?
Signs of Dyspraxia: डिस्प्रेक्सिया (Dyspraxia) एक सामान्य न्यूरोलॉजिकल या ब्रेन आधारित डिस्ऑर्डर है, जो मूवमेंट और कोर्डिनेशन (Coordination) को प्रभावित करता है. जिन लोगों को डिस्प्रेक्सिया (Dyspraxia) है, उनके लिए हर वो काम जिसमें कोर्डिनेशन की जरूरत हो, वह चुनौतीपूर्ण है. जैसे कि खेल खेलना या कार चलाना सीखना. यह किसी के इंटेलिजेंस का इफेक्ट नहीं करता है लेकिन उनके फाइन मोटर स्किल (Fine Motor Skill) को प्रभावित कर सकता है. इसमें लिखना या छोटी वस्तुओं का यूज करना शामिल हो सकता है.
‘द मिरर’ की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों में डिस्प्रेक्सिया होने का कोई ठोस कारण नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये ब्रेन से संदेश शरीर में प्रसारित होने के तरीके में रुकावट के कारण होता है. यह एक व्यक्ति की सहज, समन्वित तरीके से मूवमेंट करने की क्षमता को प्रभावित करता है, जैसा कि डिस्प्रेक्सिया फाउंडेशन की वेबसाइट पर बताया गया है.
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कभी-कभी यदि कोई बच्चा समय से पहले पैदा होता है, तो उसे डिस्प्रेक्सिया विकसित होने का अधिक खतरा हो सकता है. स्टडी से यह भी पता चला है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में डिस्प्रेक्सिया ज्यादा कॉमन है.
क्या आपको डिस्प्रेक्सिया है?
डिस्प्रेक्सिया के कुछ लक्षणों को यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) वेबसाइट पर समझाया गया है. इसके प्रभाव व्यक्तियों के बीच भिन्न हो सकते हैं और समय के साथ बदलते रहेंगे. अगर किसी को डिस्प्रेक्सिया है तो इसके कारण कई दिक्कते हो सकती हैं, जैसे-
-कोर्डिनेशन, बैलेंस और मूवमेंट में परेशानी
-किसी नई चीज को सीखने में परेशानी, जिसमें जानकारी याद रखना शामिल है
-डेली रूटीन में आने वाली चुनौतियां, जैसे कपड़े पहनना या खाना तैयार करना
-लिखने या कीबोर्ड का उपयोग करने, छोटी वस्तुओं को खींचने या पकड़ने में कठिनाई
-सामाजिक स्थितियों से जुड़े मुद्दे – सामाजिक अटपटापन या आत्मविश्वास की कमी
-भावनाओं से निपटने में कठिनाई
-खराब टाइम मैनेजमेंट, योजना और व्यक्तिगत ऑर्गेनाइजेश्नल स्किल
-डिस्प्रेक्सिया वाले कई लोग मैमोरी, धारणा (perception) और प्रोसेसिंग सिचुएशन से भी जूझ सकते हैं.
डिस्प्रेक्सिया का इलाज
डिस्प्रेक्सिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसमें थेरेपी का इस्तेमाल अक्सर लोगों की डेली लाइफ में होने वाली कठिनाइयों से निपटने में मदद करने के लिए किया जाता है. ऑक्यूपेशनल थेरेपी का उपयोग उन तरीकों को खोजने में मदद करने के लिए किया जाता है, जिनसे व्यक्ति स्वतंत्र रह सकता है और खाना पकाने या लिखने जैसे रोजमर्रा के कामों को कर सकता है.
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) नामक टॉकिंग थेरेपी का उपयोग लोगों को उनके सोचने और व्यवहार करने के तरीके को बदलकर, उनकी कठिनाइयों को मैनेज करने के लिए भी किया जाता है.
नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) वेबसाइट बताती है कि थेरेपी डिस्प्रेक्सिया से पीड़ित लोगों की भी मदद कर सकती है यदि वे इन सभी नियमों का पालन करें तो.
-फिट और स्वस्थ रहें, नियमित व्यायाम से कोर्डिनेशन में मदद मिल सकती है
-अगर लिखना मुश्किल हो जाए तो लैपटॉप या कंप्यूटर का इस्तेमाल करना
-चीजों को ऑर्गेनाइज करने के लिए कैलेंडर, डायरी या ऐप का उपयोग करना
-चुनौतियों के बारे में सकारात्मक तरीके से बात करना सीखना और ये समझना कि उनसे कैसे निपटना है.
लोगों के लिए डिस्प्रेक्सिया के साथ-साथ अन्य स्थितियों से पीड़ित होना असामान्य नहीं है, जैसे एडीएच, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, चाइल्डहुड एप्रेक्सिया ऑफ स्पीच, डिस्केलकुलिया और डिस्लेक्सिया. डिस्प्रेक्सिया के लक्षणों वाला कोई भी व्यक्ति एक मेडिकल प्रोफेशनल से बात कर सकता है, जो इस स्थिति का निदान करने में सक्षम होगा.
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