टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सूरत निवासी निर्मल कुमार मिस्त्री को साल 2014 अक्टूबर में उनके सर्विस प्रोवाइडर की तरफ से मैसेज मिला था। इसमें कहा गया था कि हमें अनरजिस्टर्ड टेलीमार्केटिंग सर्विस से कमर्शल/प्रमोशनल SMS और कॉल्स मिली हैं। आपके फोन नंबर को टर्मिनेट करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। इसके बाद मिस्त्री ने कंपनी के एक आउटलेट से सिम कार्ड को बदल लिया, लेकिन उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा।
इसके बाद मिस्त्री ने कंपनी को कानूनी नोटिस भेजा। जवाब मिला कि उनके नंबर का इस्तेमाल अनरजिस्टर्ड टेलीमार्केटिंग के लिए किया जा रहा था और कंपनी को गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं। हालांकि, शिकायतों के बारे में बताने के लिए कंपनी ने सिर्फ एक नंबर सामने रखा।
नंबर डिस्कनेक्ट करने के खिलाफ मिस्त्री ने कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल फोरम, सूरत का दरवाजा खटखटाया। बताया कि वह एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं और टेलीमार्केटर के रूप में काम नहीं करते। उन्होंने कहा कि जब उनका नंबर ब्लॉक किया गया तो उन्हें 3.5 लाख रुपये का कारोबारी नुकसान हुआ। इसकी भरपाई की जानी चाहिए। 2016 में कमीशन ने उनकी शिकायत को खारिज कर दिया और कंपनी के बचाव को स्वीकार कर लिया कि मिस्त्री का नंबर एक अनरजिस्टर्ड टेलीमार्केटिंग सर्विस के रूप में ऑपरेट होता है। इसके बाद मिस्त्री ने स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन में शिकायत दी।
मिस्त्री ने कहा कि किसी का नंबर ब्लॉक करने के लिए उस शख्स की शिकायत भी जरूरी है, जिसे टेलिमार्केटिंग से संबंधित मैसेज भेजे गए। मिस्त्री ने कहा कि वोडाफोन के पास ऐसी कोई शिकायत ही नहीं है। ऐसे मैसेज किसी को भेजे ही नहीं गए। कमीशन को मिस्त्री की दलीलों में दम नजर आया। उसने वोडाफोन पर 50 हजार रुपये जुर्माना और उसका सात फीसदी ब्याज कंस्यूमर को देने को कहा है।
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