Highlights
- विनायकी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान गणेश सारे कष्ट हर लेते हैं।
Vinayaki Chaturthi Vrat 2022: 5 अप्रैल को विनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत है । वैसे तो ये व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ता है, लेकिन नवरात्र के दौरान पड़ने के कारण इस विनायकी श्री गणेश चतुर्थी का महत्व और भी बढ़ गया है और सोने पर सुहागा यह है कि- इस बार विनायकी चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ रही है और मंगलवार को पड़ने वाली चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। अंगारकी चतुर्थी का व्रत कर्ज से मुक्ति के लिये बेहद कारगर है। दरअसल अंगारकी चतुर्थी अंगारक शब्द से बनी है और अंगारक मंगल का ही एक नाम है और मंगल का सीधा संबंध कर्ज से है ।
नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ ही विभिन्न शक्तियों या देवी-देवताओं की उपासना का भी बड़ा महत्व होता है। अतः आज श्री गणेश भगवान की उपासना करना, उनके मंत्रों का जप करना और उनके निमित्त विशेष उपाय करना आपके लिये बड़ा ही लाभकारी सिद्ध होगा ।
आज भगवान गणेश की विधि पूर्वक पूजा करने के बाद भगवान श्री गणेश जी के वक्रतुण्डाय मंत्र का पुरस्चरण यानि की जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- ‘‘वक्र तुण्डाय हुं।”
अगर आप अपनी धन-दौलत में वृद्धि करना चाहते हैं, तो आज अन्न में घी मिलाकर 108 आहुतियां दें और हर बार आहुति के साथ मंत्र पढ़ें-
”वक्र तुण्डाय हुं।”
अगर आप चाहते हैं कि आपको अचानक से बड़ा धन लाभ हो जाये, आपकी जमा-पूंजी में बढ़ोतरी हो जाये, तो आज आपको नारियल के टुकड़े की एक हजार आहुतियां देनी चाहिए और साथ ही वक्रतुण्ड मंत्र का जप करना चाहिए- ‘
‘वक्र तुण्डाय हुं।”
अगर आपको किसी भी कारणवश आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है, तो आज आपको पहले 1008 बार वक्रतुण्ड मंत्र का जप करना चाहिए। फिर भगवान का ध्यान करते हुए अष्टद्रव्यों में से किसी एक द्रव्य की 108 आहुतियां देनी चाहिए। उन अष्टद्रव्यों के नाम भी आपको बता दूं- गन्ने का रस, सत्तू, केला, चिउड़ा, तिल, मोदक, नारियल और धान का लावा । आज इस प्रकार वक्रतुण्ड मंत्र का जप करके किसी एक द्रव्य की आहुति देने से आपको हर तरह की आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा ।
वैसे तो ये उपाय किसी भी पक्ष की चतुर्थी से लेकर उसी पक्ष की अगली चतुर्थी तक किया जाता है । इसमें रोज 10 हजार मंत्रों का जप करके अष्टद्रव्यों में से किसी एक द्रव्य से 108 आहुतियां देनी चाहिए । लेकिन जो लोग इतना न कर पायें, वो आज नवरात्र के दौरान केवल 1008 मंत्रों का जप करके किसी एक द्रव्य से 108 बार आहुति देकर भी लाभ पा सकते हैं।
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विनायकी चतुर्थी व्रत पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद गणपति का ध्यान करते हुए एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगाजल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं। अब लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
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उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र
उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र प्रयोग के लिये सबसे पहले आपको मंत्र सिद्ध करना होगा। इसके लिये आपको आसन पर बैठकर 1008 बार उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है-
”हस्तिपिशचिलिखे स्वाहा।”
कहते हैं इस मंत्र के जप से ही कुबेर जी निधियों के स्वामी बन गये । लिहाजा ये मंत्र बड़ा ही लाभदायी है । श्री गणेश जी के मंत्रों के जप के लिये लाल चन्दन की माला सर्वश्रेष्ठ बतायी गयी है । लाल चन्दन न होने की स्थिति में मूंगा, श्वेत चन्दन, स्फटिक या रूद्राक्ष की माला पर भी जप कर सकते हैं । इस प्रकार मंत्र सिद्ध करने के बाद आपको उनका क्या प्रयोग करना है, ये भी जान लीजिये –
- अगर आप अपने शत्रुओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र सिद्ध करने के बाद नीम की लकड़ियों से श्री गणेश जी की प्रतिमा बनाकर, उसका विधि-पूर्वक पूजन करें।
- अगर आप करियर में अच्छे फल पाना चाहते हैं, तो आज आपको उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र सिद्ध करने के बाद कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर, उससे गणेश जी की मूर्ति बनानी चाहिए और उस मूर्ति को घर के ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करके उसकी पूजा करनी चाहिए।
- अगर आप सुख-सौभाग्य पाना चाहते हैं और हर प्रकार से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज आपको पहले उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र का 1008 बार या 108 बार जप करना चाहिए।
मंत्र है –
”हस्तिपिशचिलिखे स्वाहा।”
इस प्रकार मंत्र जप के बाद भोजपत्र पर अनार की कलम से या फिर सादे कागज पर लाल स्याही से उच्छिष्ट गणपति मंत्र को लिखकर, ताबीज में डलवाकर अपने गले में धारण करना चाहिए।
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)