Tuesday, March 1, 2022
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Vijaya Ekadshi 2022: जानें विजया एकादशी व्रत विधि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं तिथि। 


जानें विजया एकादशी व्रत विधि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं तिथि। 
– फोटो : google

जानें विजया एकादशी व्रत विधि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं तिथि। 

विजया एकादशी का अर्थ उसके नाम से ही झलकता है। विजया एकादशी यानि विजय दिलाने वाली एकादशी। इस एकादशी के दिन भगवान् विष्णु की आराधना की जाती है। एकादशी का व्रत सच्चे मन से रखने पर आप किसी भी तरह की विप्पति से छुटकारा पा सकते हैं। आप बड़े से बड़े अपने शत्रु को आज के दिन परास्त कर सकते हैं। इस बार विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी 2022 को रखा जाएगा। 

हिन्दू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। हर साल एकादशी का व्रत रखने वाले जातकों को उनकी तपस्या का फल अवश्य प्राप्त होता है। मान्यता है की विजय एकादशी का व्रत अपने शत्रुओं पर विजय हासिल करने के लिए रखा जाता है। एक मान्यता यह भी कहती है की भगवान राम ने भी अपने शत्रु रावण पर विजय हासिल करने के लिए विजय एकादशी का व्रत रखा था। 

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विजय एकादशी मुहूर्त 

विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखा जाएगा। पारणा मुहूर्त विजय एकादशी के दिन सुबह 06 बजकर 47 मिनट से लेकर 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। व्रत पारणा के लिए जातकों को 2 घंटे 18 मिनट का समय प्राप्त होगा। 

विजया एकादशी के दिन कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा 

श्री हरी की स्थापना एक कलश पर करें। इस के बाद पूरी श्रद्धा से श्री हरी की पूजा करें। मस्तक पर सफ़ेद चन्दन लगाएं। अर्पित करने के लिए पंचामृत,पुष्प और ऋतू फल का प्रयोग करें। यदि आप चाहें तो एक वेला उपवास रखें और एक वेला पूर्ण सात्विक भोजन ग्रहण करें। शाम को आहार ग्रहण करने से पहले पूजा एवं आरती अवश्य करें। 

अगले दिन प्रातः काल स्नान करें और कलश, अन्न एवं वस्त्र का दान करें। 

किन बातों का रखें ध्यान 

  1. यदि आप उपवास रख सकते हैं तो इससे अच्छी कोई और बात नहीं होगी परन्तु आप उपवास न रख पाएं तो एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करें। 
  2. एकादशी के दिन चावल एवं भारी खाद्य का सेवन न करें। 
  3. रात्रि के समय पूजा अर्चना का एक विशेष महत्व होता है, वह करना न भूलें। 
  4. क्रोध न करें, कम से कम बोलें और हरी का ध्यान करें। 

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विजया एकादशी की व्रत कथा 

कथा के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्री राम जब चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पहुंचे तो उन्होंने समुद्र देव से मार्ग देने की प्रार्थना की। परन्तु समुद्र देव ने भगवान राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया। तब भगवान राम ने वकदालभ्य मुनि के कहे अनुसार विजया एकादशी का व्रत पूरी विधि अनुसार किया। जिससे समुद्र ने उन्हें मार्ग प्राप्त करा दिया। जिसके कारण विजया एकादशी का व्रत रावण को परास्त करने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि पर विजया एकादशी का व्रत रखा जाने लगा। 

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