प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में कारगर हैं ये वास्तु टिप्स
गर्भावस्था किसी भी स्त्री, एक दंपति, विवाहित जोड़े के जीवन का एक महत्वपूर्ण समय होता है. यह वह समय है जब जीवन नए जीवन का आरंभ होता है ऎसे में एक योग्य संतान का जन्म परिवार ही नहीं अपितु विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण होता है. संतान जन्म सामाजिक सिद्धांत की प्रगति है आज के समय की दुनिया में कपल्स की मर्जी से बच्चे होते हैं. हम असफल गर्भधारण के बहुत सारे मामले देख रहे हैं और यह कई कारणों से है. पुरुष या महिला का संतान जन्म न दे पाना बांझपन है. लेकिन कभी-कभी मानसिक और शारीरिक रूप से फिट होने के बावजूद, जोड़ों को अभी भी गर्भधारण करने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अगर किसी कारण से संतान का समय आरंभ भी हो जाता है लेकिन तब उस गर्भावस्था के समय भी चिंता बनी रहती है. इन सभी स्थितियों में प्रेगनेंसी के दौरान यदि कुछ वास्तु से जुड़े उपायों को ध्यान रखें तथा उपाय हों तो इस स्थिति से बचाव होना संभव होता है. घर में कुछ वास्तु दोष गर्भवती होने या गर्भावस्था में परेशानी दे सकते हैं. आमतौर पर घरों में पाए जाने वाले कुछ वास्तु दोषों और उन्हें ठीक करने के तरीकों को अपना कर सुख प्राप्त किया जा सकता है.
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वास्तु दोषों को समझने से पहले हमें पांच प्राकृतिक तत्वों यानी जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश को समझना चाहिए क्योंकि वास्तु शास्त्र इन पांच प्राकृतिक तत्वों पर आधारित होता है. वास्तु के मुताबिक दिशाओं का भी ध्यान रखना अत्यंत उचित होता है. संतान प्राप्ति की चाहत रखने वाली दंपत्ति को उचित दिशा में रहने ओर सोने की आवश्यकता होती है. इसलिए शयन समय दिशा का विशेष ध्यान रखना उचित होता है. दिशा के अनुकूल न होने के कारण दिशा दोष उत्पन्न होता है इस के प्रभाव से भी प्रेगनेंसी में परेशानी या कष्ट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
गर्भ धारण करने के लिए सभी तत्वों को संतुलित करना चाहिए. यौन संबंधों के लिए जिम्मेदार तत्व अग्नि तत्व है जो दक्षिण पूर्व दिशा में पाया जाता है. वहीं अग्नि तत्व स्त्री के गर्भ में पल रहे बच्चे को गर्भ धारण करने और परिपक्व करने के लिए भी जिम्मेदार होता है. उचित संबंध और अच्छे यौन जीवन के लिए जोड़ों को उचित दिशा में सोना चाहिए.
दंपति को घर के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में एक विशेष ऊर्जा क्षेत्र में सो सकते हैं जो निश्चित रूप से गर्भधारण में सहायक होता है. यह ऊर्जा क्षेत्र शरीर और दिमाग को ठंडा और स्थिर रखने में मदद करता है.
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एक बार जब एक महिला एक बच्चे को गर्भ धारण कर लेती है तो उसे बच्चे की स्थिरता के लिए उत्तर पूर्व कोने से दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थानांतरित होना चाहिए.
बीम इस बात का भी ध्यान दें कि पति और पत्नी का बिस्तर या बेड छत के बीम के ठीक नहीं होना चाहिए इस स्थान को वास्तु दोष का कारण माना जाता है, इस स्थिति में व्यक्ति के ऊपर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह अधिक हो सकता है.
गर्भवती महिला को कभी भी अंधेरे कमरे या अंधेरी जगह में न रहने दें, हमेशा सुनिश्चित करें कि उसके चारों ओर पर्याप्त रोशनी हो इस कारण से प्रकाश का होना नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है.
आस पास बागबानी का ध्यान रखना चाहिए, पेड़ पौधों का प्रभाव शुभता देने वाला होता है. इस स्थिति में विकास को शुभता मिलती है. आपका आस पास का वातावरण प्रसन्नचित होता है.
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