Thursday, April 21, 2022
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Vaastu Remedies: बच्चों के अध्ययन क्षेत्र के लिए अपनाएं कुछ वास्तु टिप्स


बच्चों के अध्ययन क्षेत्र के लिए अपनाएं कुछ वास्तु टिप्स
– फोटो : google

बच्चों के अध्ययन क्षेत्र के लिए अपनाएं कुछ वास्तु टिप्स

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर अध्ययन करने के लिए आदर्श स्थान कौन सा हो सकता है जिसमें बच्चों के समग्र विकास को मौका मिल सके. वास्तु शास्त्र में स्थिति एवं रंग का प्रभाव ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है, शिक्षार्थी के लिए चाहे छात्रावास हो, पीजी, घर या घर से दूर पढ़ाई करते समय रहने वाले बच्चों के लिए वास्तु मानदंड ध्यान में देते हुए काम करने की आवश्यकता है. बच्चों के कमरे में सकारात्मक वास्तु व्यवस्था के लाभ द्वारा ही शिक्षा और मानसिक विकास का उत्तम विकास संभव हो सकता है. कुछ लोगों का मानना है कि उनके बच्चे बहुत अधिक प्रयास किए बिना परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो दूसरी ओर, दूसरों को लग सकता है कि उनके बच्चे हर समय पढ़ते हैं लेकिन वे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में असफल होते हैं.

वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ मानते हैं कि आपके घर का ऊर्जा संतुलन आपके बच्चे की शिक्षा और विकास में एक बड़ी भूमिका निभाता है. इसी के साथ यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते हैं.  जैसे-जैसे वे बढ़ते हैं और घर में फलते-फूलते हैं, आदतों और विचारों का निर्माण करते हैं, घर का वास्तु उनके भविष्य को आकार देने में सहायक होता है। यदि वास्तु और ऊर्जा का प्रवाह सही है, तो यह पढ़ाई के प्रति उनकी एकाग्रता का समर्थन करेगा।

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पढ़ाई के लिए उपयुक्त स्थान 

पढ़ाई एवं अध्ययन के लिए आदर्श स्थान बच्चे की उम्र पर निर्भर करता है. “यदि बच्चा माध्यमिक विद्यालय में है, तो पढ़ने के लिए सबसे अच्छी जगह घर का उत्तर-पूर्व है और पढ़ते समय पूर्व की ओर मुख करना अच्छा होता है. 

यदि बच्चा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है या कोई पेशेवर कोर्स कर रहा है, तो उसके लिए अध्ययन करने के लिए आदर्श स्थान उत्तर-पश्चिम में और उत्तर की ओर मुंह होना अनुकूल होता है. शिक्षा स्थान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को एक अलग क्षेत्र में रखा जाना चाहिए क्योंकि ये अत्यधिक विचलित करने वाले हो सकते हैं और सकारात्मक और सहायक ऊर्जा में बाधा डाल सकते हैं. 

बच्चों के लिए शुभ रंग

हरा और नीला रंग ताजगी और सकारात्मकता से जुड़ा है प्रकाश एक महत्वपूर्ण पहलू है.  दीपक और रोशनी न तो बहुत तेज और न ही बहुत सुस्त होनी चाहिए. उत्तर-पूर्व की ओर का प्रकाश, मनोकूल परिणाम प्रदान करने के लिए जाना जाता है. जितना हो सके अपने बच्चे के कमरे में गैजेट्स रखने से बचना उचित होता है. 

छात्रावास, पीजी, या घर से दूर पढ़ाई करते समय रहने वाले बच्चों के लिए वास्तु मानदंड के लिए ध्यान रखने की जरुरी है कि कमरे का दरवाजा दक्षिण दिशा की ओर नहीं है. स्टडी टेबल ईशान कोण में होना अनुकूल होता है. कमरे का रंग हरा होना चाहिए और पढ़ते समय बच्चे का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना बहुत उपयुक्त माना जाता है. 

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शिक्षा में सकारात्मक प्रभाव पाने के लिए बच्चे जिस स्थान पर शिक्षा का अध्ययन करते हैं वहां पर कुछ सरल संशोधन किए जा सकते हैं. दक्षिण-उत्तर या पूर्व-पश्चिम दिशा में सोना चाहिए विशेष रुप से सिर दक्षिण या पूर्व की ओर रखकर सोना अनुकूल होता है. प्रवेश द्वार को यथासंभव मुक्त और ताजा रखने का प्रयास करना अच्छा होता है. 

कोशिश करें कि पूर्व दिशा में अधिक से अधिक खिड़कियां हों, क्योंकि इससे यह लाभ भी मिल पाता है कि उस स्थान पर सीधे रोशनी का आगमन हो सके सूर्य का प्रकाश मिल सके. इसके अलावा, कमरे में किसी भी बीम या बीम के आकार की वस्तुओं को रखने से बचना महत्वपूर्ण है, यदि यह संभव न हो तो इसके नीचे बैठने या सोने से बचना उचित होता है. अव्यवस्थित और धूल भरे कमरे नकारात्मकता का प्रतिनिधित्व करते हैं और बच्चे को इसके द्वारा शिक्षा में बाधा अनुभव हो सकती है इसलिए यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि एक साफ और व्यवस्थित स्वच्छ स्थान ही दिमागी कुशलता को बढ़ाने में सहायक होता है. 

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