घर की दीवारों खोलती है कई राज़, जाने अपने घर की दीवारों के बारे में
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घर की दीवारों खोलती है कई राज़, जाने अपने घर की दीवारों के बारे में
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की दीवारें घर में बहुत सी परेशानियों का कारण बन सकती है। यदि आपके घर की दीवारें गंदी, दाग धब्बो से युक्त है या फिर उन पर दरारें है तो ऐसी दीवारें दरिद्रता, तनाव और नकारत्मकता का सूचक है। आपको अपने घर की दीवारों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। आज हम बतायेंगे की वास्तु शास्त्र के अनुसार किस प्रकार की दीवारें उत्तम मानी जाती है।
सबसे पहले बात करते है दीवारों की ऊँचाई कितनी होनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की बाहरी चारों दीवारों की उचाई मुख्य प्रवेश द्वार की ऊँचाई से तीन चौथाई अधिक होनी चाहिए। साथ ही आपको बता दें कि पश्चिम और दक्षिण दिशा की दीवारें उत्तर और पूर्व दिशा में पड़ने वाली दीवारों की तुलना में 30 सेंटीमीटर अधिक ऊंची होनी चाहिए। कहते हैं यदि पूर्व और उत्तर दिशा की दीवार अधिक मोटी होती है तो इससे सकारात्मक ऊर्जा चार दीवारों के अंदर ही भूभाग में सुरक्षित हो जाती है और दक्षिण या पश्चिम से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा बाहर ही रह जाती है।
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घर का उत्तर भाग जल तत्व प्रधान होता है और यह स्थान धन और लक्ष्मी का स्थान कहा जाता है इसलिए इसे हमेशा स्वच्छ, पवित्र और खाली रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार आप इस दिशा की दीवार की साज सज्जा के लिए हल्के रंग जैसे की हल्का हरा, पिस्ता हरा या आसमानी रंग का प्रयोग कर सकते हैं। इससे आर्थिक स्थिती में सुधार आता है। वहीं यदि आप इस दिशा की दीवार के लिए गहरे रंगों का प्रयोग करते हैं तो इससे आर्थिक हानि होती है और साथ ही अन्य परेशानियां भी खड़ी हो जाती है।
उत्तर पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। इस दिशा में सभी देवी देवता वास करते हैं। मुख्य तौर पर यह भगवान शिव की दिशा मानी जाती है। कहते हैं कि इस दिशा में आकाश ज्यादा खुला होता है। इस दिशा में दीवार के लिए आप आसमानी, सफेद या हल्के बैंगनी रंग में से किसी भी एक रंग का चयन कर सकते हैं। इस दिशा की दीवार के लिए पीला रंग सबसे उत्तम माना गया है क्योंकि यह देवी देवताओं का स्थान होता है।
पूर्व दिशा की ओर पढ़ने वाली घर की दीवार को हमेशा हल्के नीले रंग या फिर सफेद रंग से रंगना चाहिए। पूर्व दिशा ऊर्जा की दिशा मानी जाती है यदि ऐसे में गहरे रंगों का इस्तेमाल करते हैं तो सकारात्मक उर्जा आपके घर में प्रवेश नहीं कर पाएगी इसलिए इस दिशा में हमेशा हल्के रंगों का इस्तेमाल करें ताकि सकारात्मक उर्जा आपके घर में प्रवेश कर सके।
घर का दक्षिण पूर्व भाग अग्नि तत्व का भाग माना जाता है इसे आग्नेय कोण भी कहते हैं। यह स्थान किचन बनाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। आप इस स्थान की साज सज्जा के लिए नारंगी, पीले या सफेद रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
दक्षिण भाग की दीवारों के लिए नारंगी रंग का इस्तेमाल करना चाहिए इससे घर के सदस्यों में स्फूर्ति और उत्साह बना रहता है। यदि इस दिशा में शयन कक्ष बनवाते हैं तो उसमें गुलाबी रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
घर का दक्षिण पश्चिम भाग नेऋतय कोण कहा जाता है। इस दिशा में आप भूरे, ऑफ व्हाइट या हरे रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
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पश्चिम दिशा की दीवारों के लिए नीला रंग सबसे उत्तम रंग माना जाता है। यदि आप चाहें तो नीले रंग के साथ बहुत कम मात्रा में सफेद रंग का उपयोग भी कर सकते हैं। इस दिशा में जल के देवता वरुण देवता का स्थान माना जाता है। इसलिए नीला रंग का उपयोग करना बहुत शुभ फलदायी होता है।
घर के पश्चिमोत्तर भाग को वायव्य कोण भी कहते हैं। वायव्य दिशा में यदि आपका ड्राइंग रूम है तो आप उसमें हल्के स्लेटी, सफेद या क्रीम रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार हर रंग का अपना महत्व होता है आज हम आपको बताएंगे कि किस स्थान के लिए कौन सा रंग शुभ माना जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार आप अपने घर के ड्राइंग रूम या फिर ऑफिस की दीवारों पर पीले रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ रंग माना जाता है। पीला रंग सुकून व रोशनी देने वाला रंग होता है।
यदि आप अपनी आर्थिक स्थिती में सुधार लाना चाहते हैं तो आपको अपने कमरे की उत्तरी दीवार पर हरा करवाना चाहिए। साथ ही आप अपने घर की उत्तरी दीवार पर आसमानी रंग का भी प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि यह जल तत्व को इंगित करता है।
घर को रंगवाने के लिए जितना संभव हो हल्के रंगों का प्रयोग करें। परंतु घर के खिड़की दरवाजों को हमेशा गहरे रंगों से रंगवाएं। जैसे की घर के खिड़की दरवाजे के लिए आप डार्क ब्राउन रंग का इस्तेमाल कर सकते है।
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