भारत का एक ऐसा मंदिर जिसने नासा के वैज्ञानिक को भी कर दिया हैरान
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भारत का एक ऐसा मंदिर जिसने नासा के वैज्ञानिक को भी कर दिया हैरान
देवभूमि उत्तराखंड मे यूं तो कई प्रसिद्ध मंदिर है जो अपने आप में चमत्कारी और अद्भुत इतिहास समेटे हुए सालों से ठाठ से खड़े हैं। इसी में से एक मंदिर अल्मोड़ा के पास एक पहाड़ पर स्थित है। यह मंदिर देवी दुर्गा के माँ कात्यायनी स्वरूप को समर्पित है। इस मंदिर का ज़िक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है। यह मंदिर इतना रहस्यात्मक है कि नासा के वैज्ञानिक भी इसके पीछे छिपे रहस्यों का कारण नहीं जान पाये थे। जब विज्ञान भी हार जाता है तब उससे ऊपर आती है श्रद्धा, भक्तों की इसी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक यह मंदिर है।
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माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों में से एक स्वरूप माँ कात्यायनी का है। स्कंद पुराण में लिखा है कि यह वही स्थान है जहाँ देवी कात्यायनी अपने वाहन सिंह के साथ धरती पर प्रकट हुई थी। यह मंदिर मात्र एक आध्यात्मिक स्थल नहीं है बल्कि वेज्ञानिकों ने इसे शोध का स्थान भी बना लिया था। आए दिन देश-विदेश के वैज्ञानिक इससे जुड़े रहस्यों की जांच करने आते थे। परंतु किसी के हाथ कुछ नहीं लगा जब सन् 2012 में नासा के वैज्ञानिक भी हैरान होकर यहाँ से खाली हाथ लौट गए तब से यहाँ पर वैज्ञानिकों का तांता लगना कम हो गया है।
इसी के साथ यहाँ विश्व की सबसे ज्यादा ताकत होने का प्रमाण खुद नासा ने इस मंदिर को दिया है।
अल्मोड़ा जिले में स्थित कसारदेवी नामक पहाड़ पर खुद माँ कात्यायनी अपनी सवारी सिंह के साथ शुंभ निशुंभ नाम के दानवों का वध करने के लिए प्रकट हुई थी। स्कंद पुराण में भी जिक्र मिलता है कि माँ कात्यायनी ने इसी पहाड़ पर शुंभ निशुंभ नामक दानव का वध किया था।
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यह मंदिर असीम शक्ति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में अद्भुत चुंबकीय शक्ति निकलती है। जब सन् 2012 में नासा के वैज्ञानिकों ने इस जगह के चुंबकीय रूप से चार्ज होने के कारण और प्रभावों पर शोध कि । तब से लेकर आज तक इसका कारण पूरी तरह से वैज्ञानिकों की समझ से पार बना हुआ है। क्योंकि जो चुंबकीय किरणें कसार पर्वत से निकलती हैं वह सबसे मुख्य चुंबकीय किरणें है परन्तु वह इस पर्वत के अलावा पूरे हिमालय पर कहीं भी नहीं मीलती है।
कसार देवी मंदिर और उसके आस पास के क्षेत्र की विशेष चुंबकीय शक्ति की वजह से यह स्थान ध्यान और तप के लिए विशेष माना जाता है। इस मंदिर के अंदर मोबाइल या टैबलेट जैसे कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस काम नहीं करते है। इतना ही नहीं यहाँ पर बाहर की आवाज भी सुनाई नहीं देती है। जिसके कारण यहाँ पर शांति से ध्यान लगाया जा सकता है।
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अक्सर चुंबकीय शक्तियां जो निकलती है उन्हें नेगेटिव माना जाता है परंतु जो चुंबकीय शक्ति इस मंदिर से निकलती हैं वह पॉजीटिव एनर्जी देती है।
यह एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है जिसकी पुष्टि मंदिर में देवनागरी लिपी में लिखी हुई पट्टिका देती है। इस मंदिर से जुड़े रहस्य भी हजारों वर्षों से बने हुए हैं।
इस मंदिर में देवी दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती हैं जिन्हें कुछ भक्त कौशिकी माता भी कहते हैं। कसारदेवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कसार पर्वत के पास कोसी नदी के समीप स्थित है।
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