TradingPlatforms के डेटा के अनुसार, Tesla की ब्रांड वैल्यू इस वर्ष 184 प्रतिशत बढ़ी है। यह ग्रोथ सभी ग्लोबल ब्रांड्स से अधिक है। पिछले एक दशक में टेस्ला का बिजनेस काफी मजबूत हुआ है और इसने एक प्रभावशाली ग्लोबल ब्रांड के तौर पर अपनी जगह बनाई है। कंपनी की शुरुआत 2003 में हुई थी और तब इसका फोकस केवल इलेक्ट्रिक कारों पर था। टेस्ला को अभी भी इलेक्ट्रिक कारों के लिए पहचाना जाता है लेकिन यह एक प्रमुख क्लीन एनर्जी कंपनी के तौर पर भी उभरी है। Elon Musk भी अपने बयानों और ध्यान आकर्षित करने वाले ट्वीट्स के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। इससे टेस्ला की पहचान भी मजबूत हुई है।
इस वर्ष तीन डिजिट में ग्रोथ हासिल करने वाला टेस्ला एकमात्र ब्रांड है। दूसरे स्थान पर Sephora है, जिसकी ग्रोथ केवल 37 प्रतिशत की है। टेस्ला की कारों की बिक्री अमेरिका और चीन जैसे कुछ देशों में अन्य ग्लोबल ऑटोमोबाइल कंपनियों की कारों को टक्कर दे रही हैं। टेस्ला ने भारतीय मार्केट में भी बिजनेस शुरू करने की योजना बनाई है। इसने केंद्र सरकार से इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी करने की मांग की है। टेस्ला का कहना है कि इम्पोर्ट ड्यूटी अधिक होने के कारण उसके लिए भारत में बिजनेस करना मुश्किल होगा। हालांकि, प्रमुख भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियां इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी करने के विरोध में हैं। इन कंपनियों का कहना है कि इसमें देश में कारों के प्रोडक्शन पर असर पड़ेगा।
Musk को Time मैगजीन ने इस वर्ष के लिए “पर्सन ऑफ द ईयर” चुना है। टेस्ला की बड़ी सफलता के साथ ही Musk की रॉकेट कंपनी SpaceX ने भी इस वर्ष सिविलियन क्रू के साथ अंतरिक्ष को छूने की उपलब्धि हासिल की। Musk ब्रेन चिप स्टार्टअप Neuralink और इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म The Boring Company की भी अगुवाई करते हैं।
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