रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने औपचारिक रूप से टेस्ला को घरेलू सोर्सिंग बढ़ाने के लिए कहा है। हालांकि टेस्ला ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। दिलचस्प बात यह है कि टेस्ला ने इससे पहले अगस्त 2021 में दावा किया था कि उसने अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए भारत से लगभग 100 मिलियन डॉलर मूल्य के ऑटो पार्ट्स मंगवाए हैं।
अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को भारत में बेचने के लिए टेस्ला बेताब है। कंपनी लगभग एक साल से नई दिल्ली में अधिकारियों के आगे पैरवी कर रही है। वह चाहती है कि गाड़ियों पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी को कम किया जाए, जिसे कंपनी के अरबपति CEO एलन मस्क दुनिया में सबसे ज्यादा बता चुके हैं।
टेस्ला की योजना है कि वह पहले पूरी तरह से निर्मित यूनिट (CBU) मॉडल को इम्पोर्ट करेगी। लेकिन इसमें लगने वाले उंचे टैक्स की वजह से CBU टेस्ला कारों की कीमत काफी अधिक होगी। टेस्ला टैक्स में कटौती की मांग सरकार से कर रही है, जबकि भारत सरकार टैक्स कम करने की इच्छुक नहीं है। सरकार चाहती है कि टेस्ला देश में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाए। वह भारत में ही इलेक्ट्रिक कारों का प्रोडक्शन करे। लेकिन टेस्ला पहले अपने कारों की डिमांड देखना चाहती है। वह देखना चाहती है कि भारत में उसकी कारों को कैसा रेस्पॉन्स मिलता है।
यही वजह है कि टेस्ला और भारत सरकार के बीच एक गतिरोध बना हुआ है। टेस्ला के CEO एलन मस्क तो भारत में टैक्स की ऊंची दर पर नाराजगी जता चुके हैं। अब यह नया डेवलपमेंट हुआ है, जिसके मुताबिक टेस्ला को इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती का योग्य होने के लिए भारत में ऑटो कॉम्पोनेंट्स का सोर्स बनना होगा।
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