डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्तीय संकट से जूझ रही अफगानिस्तान की तालिबान सरकार कुछ समय से पाई पाई के लिए तरस रही है। अफगानिस्तान में अपने फैसलों और बर्बरता को लेकर चर्चाओं में रहने वाला तालिबान अब ताजिकिस्तान के आगे गिडगड़ा रहा है। अफगानिस्तान पर बंदूक की नोंक पर कब्जा करने वाली तालिबान सरकार इस बार एक अजीब मुश्किल में फंस गई है। इस मुसीबत से निकलने के लिए तालिबान अपने पड़ोसी मुल्क से कई मिन्नतें कर रहा है।
गनी के जाने के बाद रद्द हो गया था सौदा
मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार द्वारा ताजिकिस्तान में शरणार्थी बच्चों के एक स्कूल की फंडिंग के लिए सहायता सेवा राशि लोगों की भलाई के लिए मंजूर किए थे। जिसे गनी सरकार, ताजिकिस्तान को भेजती। लेकिन राशि के ट्रांसफर करने के पहले ही तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और अफगान राष्ट्रपति गनी देश से भाग गए, जिसके कारण यह सौदा रूक गया। इस रकम को ताजिकिस्तान में शरणार्थी बच्चों की स्कूली शिक्षा दिलाने में खर्च होने थे। जब अफगानिस्तान से गनी भाग गए तो तालिबानी सरकार ने इस डील को रद्द कर दिया था, लेकिन गलती से वह रकम ताजिकिस्तान में ट्रांसफर हो गई। ये सौदा अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के कुछ हफ्तों बाद सितंबर में हुआ, दावा किया जा रहा है कि यह रकम $400,000 के करीब थी। वहीं ताजिकिस्तान की राजधानी दुशानबे से बेस्ड अवेस्ता नाम की वेबसाइट में दावा किया गया है कि तालिबानी ने ताजिकिस्तान की अफगान एंबेंसी में 8 लाख डॉलर ट्रांसफर कर दिए जो भारतीय मुद्रा में करीब 6 करोड़ की रकम होती है, जो इसे नहीं करना था। लंबे समय से तालिबान द्वारा संचालित अफगानिस्तान के वित्त मंत्रालय से हफ्तों तक इसके बारे में कोई भी बातचीत नहीं हुई थी,अब तालिबान राशि वापस करने के लिए ताजिकिस्तान से काफी मिन्न्तें कर रहा है। हालांकि पड़ोसी मुल्क ताजिकिस्तान प्रशासन ने इन पैसों को वापस करने से साफ मना कर रहा है।
ताजिकिस्तान का इनकार
तालिबान ने अफगान अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए नवंबर में इस मनी ट्रांसफर के बारे में ताजिकिस्तान सरकार से संपर्क साधा और अधिकारियों ने उस ट्रांसफर राशि का एक-एक पैसा वापस करने को कहा। जिसके जवाब में ताजिकिस्तान के अधिकारियों ने आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया। आपको बता दें ताजिकिस्तान सरकार औपचारिक रूप से तालिबान को एक आतंकवादी संगठन मानती है। ऐसे में सरकार तालिबान को रकम नहीं लौटाना चाहता।
अफगान पर तालिबान का कब्जा
अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन की 31 अगस्त तक अफगान से अमरिकी सैनिकों की दो दशक बाद वापसी की घोषणा के बाद से ही तालिबान ने धीरे धीरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा कर शुरू किया और कुछ समय बाद पूरे अफगान पर कब्जा कर लिया। तालिबान लड़ाकूओं के आगे अफगान सुरक्षाबलों के घुटने टेकने के बाद पूरे देश में विद्रोहियों ने कोहराम मचा दिया और पूरे अफगान पर दोबारा कब्जा कर लिया।
निराश डरी भयभीत अफगान की तस्वीर
1996 से 2001 तक तालिबान द्वारा की गई बर्बरता की डराती बुरी यादें, अगस्त 2021 में एक बार फिर अफगान की सत्ता पर तालिबान के हथियाने से फिर प्रकट होने लगी। तालिबान में सबसे अधिक मजबूर और चिंतित महिला है जिन पर कई पाबंदिया लगाकर घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है। और एक बार फिर तालिबान की बर्बरता से भयभीत होकर लोग अफगान देश भागने लगे। तालिबान का डर इस कधर कि लोग विमानों में अधिक भीड़ के कारण ऐरोप्लेन से लटक कर मौत को मात देकर भागने की फिराक में थे। काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं। अभी भी अफगानिस्तानी लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
तालिबान के काबुल में कदम रखने से घबराए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया। आज अफगानिस्तान देशवासियों में निराश डर भरा हुआ है। महिला बच्चों लड़किया भयभीत है। आज भी ये लोग यही सोच रहे हैं कि आगे भविष्य में क्या होगा। रोते-बिलखते भूखे लोगों को देखकर एक अनुमान लगाया जा सकता है कि आतंकियों के साए में अफगानिस्तान किस अंधकार में डूबता जा रहा है।