नई दिल्ली. टीम इंडिया फिलहाल टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup-2021) में अपना अभियान आगे बढ़ा रही है लेकिन साफ तौर में उसके पास ऑलराउंडर की कमी खल रही है. इसका कारण है कि हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) गेंदबाजी के लिए फिट नजर नहीं आ रहे हैं. टीम में ऑलराउंडर का होना बेहद अहम है और ऐसा आंकड़े भी कहते हैं कि बिना ऑलराउंडर के वर्ल्ड कप नहीं जीते जाते. इतिहास भी इस बात की गवाही देता है. चाहे वनडे वर्ल्ड कप हो या टी20, आज तक कोई भी ऐसी टीम इसे जीतने में कामयाब नहीं हो पाई है जो ऑलराउंडर या फिनिशर की कमी से जूझती नजर आई हो.
भारतीय क्रिकेट टीम ने टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup-2021) में अभी तक एक ही मैच खेला है लेकिन उसे चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान (IND vs PAK) ने 10 विकेट से करारी मात दी. उस मैच में भी ऑलराउंडर और फिनिशर की कमी साफ नजर आई. साल 1975 में खेले गए पहले वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज ने ट्रॉफी जीती. उस टीम में क्लाइव लॉयड, विवियन रिचर्ड्स और रॉय फ्रेडरिक्स जैसे दिग्गज शुमार थे. फाइनल का मैन ऑफ द मैच भी लॉयड को मिला, जिन्होंने 102 रन बनाए और फिर 1 विकेट भी लिया. इतना ही नहीं, फाइनल में पहुंची दूसरी टीम ऑस्ट्रेलिया के पास भी ऑलराउंडर खिलाड़ी मौजूद थे, जिनमें डग वॉल्टर्स, ग्रेग चैपल प्रमुख नाम थे. वॉल्टर्स ने उस मैच में 35 रन बनाए और 5 ओवर गेंदबाजी भी की. चैपल ने भी 7 ओवर फेंके. हालांकि कोई विकेट वह नहीं ले पाए.
ऑलराउंडर के दम पर वेस्टइंडीज ने जीता था 1979 वर्ल्ड कप
1979 का वर्ल्ड कप भी वेस्टइंडीज ने जीता, उसने तब इंग्लैंड को मात दी. मैन ऑफ द मैच विवियन रिचर्ड्स को मिला जिन्होंने 138 रन की नाबाद पारी खेली और 10 ओवर गेंदबाजी भी की. इतना ही नहीं, कोलिस किंग ने 86 रन की शानदार पारी खेली और 3 ओवर गेंदबाजी करते हुए मात्र 13 रन दिए. फिर 1983 का वर्ल्ड कप कौन भूल सकता है, जब भारत ने इतिहास रचा और पहली बार इस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया. तब टीम इंडिया के तत्कालीन कप्तान कपिल देव की गिनती तो दिग्गज ऑलराउंडरों में होती ही है. फाइनल मैच में 183 रन का बचाव गेंदबाजी ऑलराउंडरों की बदौलत ही हो पाया था. मैच में 6 गेंदबाज आजमाए गए. मोहिंदर अमरनाथ ने 7 ओवर फेंके और 3 विकेट झटके, मदन लाल ने भी 3 विकेट अपने नाम किए. मैन ऑफ द मैच भी अमरनाथ को मिला जिन्होमने 26 रन भी बनाए थे.
इरफान गेंद और बल्ले दोनों से छाए थे
आप किसी भी वर्ल्ड कप को उठा लीजिए और खुद आकलन करिए कि क्या ऑलराउंडर के बिना ट्रॉफी जीती जा सकती थी. यह बात 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में भी साफ हो गई. गौतम गंभीर ने मैच में 75 रन बनाकर टीम को चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंचाया. महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने 20 ओवर में 5 विकेट खोकर 157 रन बनाए. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ उस खिताबी मुकाबले में 6 गेंदबाजों को आजमाया. इरफान पठान ने दमदार गेंदबाजी की और 4 ओवर में 16 रन देकर 3 विकेट अपने नाम किए. फिर जोगिंदर शर्मा का आखिरी ओवर कौन ही भूल सकता है. इरफान को मैन ऑफ द मैच चुना गया था. वह भले ही फाइनल में नाबाद 3 ही रन बना पाए लेकिन टूर्नामेंट में उन्होंने बल्ले से भी प्रभावी प्रदर्शन किया.
गांगुली की टीम में थे कई ऑलराउंडर
साल 2003 का वर्ल्ड कप फाइनल भले ही भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से 125 रन के बड़े अंतर से हारी लेकिन सौरव गांगुली की टीम में भी ऑलराउंडर शामिल थे. गौर करने वाली बात ये है कि भारत ने फाइनल में 8 खिलाड़ियों से गेंदबाजी कराई थी. वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह ने कुल 8 ओवर गेंदबाजी की थी. उस टूर्नामेंट में दिग्गज सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया था. ट्रॉफी जीतने वाली उस ऑस्ट्रेलियाई टीम में डैरेन लेहमैन और एंड्रयू साइमंड्स गेंदबाजी कर लेते थे.
2011 वर्ल्ड कप के हीरो थे ऑलराउंडर युवराज
फिर 2011 के वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत पहुंचा और फिर दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह का कमाल दिखा. युवराज ने नाबाद 21 रन बनाए और धोनी के साथ अविजित साझेदारी करते हुए खिताबी जीत में योगदान दिया. खास बात थी कि कप्तान धोनी ने फाइनल मैच में तब 7 खिलाड़ियों से गेंदबाजी कराई. युवराज सिंह ने 2 विकेट लिए जबकि मौजूदा कप्तान विराट कोहली ने भी 1 ओवर फेंका. महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी 2 ओवर गेंदबाजी की थी. युवराज उस टूर्नामेंट में प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे.
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2016 का टी20 वर्ल्ड कप फाइनल कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान पर खेला गया था. खिताबी मुकाबले में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज आमने-सामने थे. फाइनल में कार्लोस ब्रैथवेट ने दमदार प्रदर्शन किया और 3 विकेट झटके. ब्रैथवेट ने फिर 10 गेंदों पर नाबाद 34 रन की पारी खेली और 1 चौका, 4 छक्के जड़कर जीत दिलाई. इससे साफ हो जाता है कि यदि किसी भी टीम को वर्ल्ड कप जीतना है तो टीम में ऐसे ऑलराउंडर की जरूरत होती है जो मौका मिलने पर टीम को मुश्किल से निकाल ले.
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