इस अपडेट के तहत फूड एग्रीगेटर्स को उनके प्लेटफॉर्म पर मौजूद सभी रेस्टोरेंट से GST कलेक्ट करना और जमा करना होगा। इसका मतलब है कि रेस्टोरेंट से मिलने वाले हर ऑर्डर के लिए फूड एग्रीगेटर्स को अलग GST एंट्री रखनी होगी। इस व्यवस्था का पालन करने के लिए इन प्लेटफॉर्म्स को अतिरिक्त रिसोर्सेज की जरूरत होगी, जिससे उनकी कॉस्ट बढ़ेगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि पांच फीसदी GST मौजूदा 18 फीसदी GST के ऊपर होगा।
इस मामले पर Deloitte India के पार्टनर एस. मणि ने कहा कि कंस्यूमर्स को 1 जनवरी से उनके ई-कॉम फूड बिलों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। ई-कॉमर्स फूड ऑपरेटरों के कम्प्लायंस लोड में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
इस बदलाव की वजह से छोटे रेस्टोरेंट मालिकों और फूड शॉप्स को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से मिलने वाले सभी ऑर्डर पर पांच फीसदी GST देना होगा। इससे उनकी कमाई पर असर पड़ सकता है। इस वजह से वह स्विगी और जोमैटो ऐप से किए जाने वाले ऑर्डर पर ज्यादा चार्ज लगा सकते हैं। इसका सीधा असर कंस्यूमर्स पर होगा।
टैक्स एक्सपर्ट ने Gadgets 360 को बताया कि जो छोटे रेस्टोरेंट मालिक GST के दायरे में आते हैं, उनका सालाना रेवेन्यू 40,00,000 रुपये से कम है। उन्हें सामान्य परिदृश्य में GST का भुगतान करने की जरूरत नहीं है।
कुछ स्टेकहोल्डर्स इसे पॉजिटिव मानते हैं और कॉम्पिटिशन के लिए अच्छे कदम के रूप में देखते हैं। सरकारी अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि इस बदलाव से निश्चित ही टैक्स चोरी को रोकने में कुछ हद तक मदद मिलेगी।
इस बदलाव पर पिज्जा कॉर्नर Sizzlin Slices के मालिक सरबजीत सिंह ने कहा कि इससे मार्केट में छोटे प्लेयर प्रभावित होंगे। उनके कस्टमर बेस पर असर पड़ेगा। लॉकडाउन में स्विगी के जरिए बिक्री शुरू करने वाले दिल्ली के एक स्ट्रीट सैंडविच शॉप मालिक गौतम कुमार ने कहा कि हम पहले से ही कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। नियमों में छूट मिलने के साथ ही लोगों ने बड़े रेस्टोरेंट का रुख करना शुरू कर दिया है। स्विगी और जोमैटो ने इस मामले में कोई कमेंट नहीं किया है।
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