क्यों मनाई जाती है चैत्र नवरात्रि जाने पौराणिक कारण
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क्यों मनाई जाती है चैत्र नवरात्रि जाने पौराणिक कारण
नवरात्रि का पर्व 2 अप्रैल से आरम्भ होकर 11 अप्रैल को राम नवमी के पर्व के साथ पूर्ण होगा। इन नौ दिन देवी की आराधना की जाती है। यह नौ दिन शक्ति के दिन होते है। वर्ष में यू तो चार बार नवरात्रि आती है। लेकिन गृहस्थ लोगो के लिए दो नवरात्रि ही शुभ मानी गयी है चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। दो गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधना के लिए शुभ मानी जाती है। नवरात्रि के पावन अवसर पर हम आपको बतायेंगे की चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है और साथ ही यह भी बतायेंगे की यह एक दूसरे से कैसे अलग है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय धरती पर महिषासुर नामक राक्षस का आतंक बहुत बढ़ गया था। सभी उसके अत्याचारों से दुखी थे। ऐसे में देवताओं ने उससे युद्ध किया परंतु वह उसे हरा नही पाये। क्योंकि महिषासुर को वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसे हरा कर उस पर विजय प्राप्त नही कर पायेगा। ऐसे में सभी देवताओं ने धरती को महिषासुर के अत्याचार से मुक्त कराने के लिए माता पार्वती को प्रसन्न किया और उनसे रक्षा करने का अनुरोध किया। सभी देवताओं के अनुरोध पर माता पार्वती ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किये। जिन नौ रूपो को सभी देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति से संपन्न किया था। यह कार्य चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नौ दिन तक चला था, तभी से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।
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अब बात करे शारदीय नवरात्रि की तो वह अश्विन के महीने में आती है। अश्विन मास में शरद ऋतु का आरंभ होता है इसीलिये इसे शारदीय नवरात्रि कहते है। इसी अश्विन के महीने में देवी दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस से नौ दिनों तक युद्ध किया था और दसवे दिन उसका वध कर उसपर विजय प्राप्त की थी। रावण पर विजय पाने के लिए भगवान श्रीराम ने देवी दुर्गा की नौ दिनों तक आराधना की थी। देवी दुर्गा ने भगवान श्री राम की परीक्षा ली थी जिसमें उनकी भक्ति देख देवी दुर्गा ने उन्हें शक्ति का वरदान दिया था। जिसके बाद भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए यह 9 दिन देवी दुर्गा की उपासना के लिए उत्तम दिन माने जाते हैं।
चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का मात्र मनाने का कारण ही भिन्न नहीं है बल्कि दोनों की पूजा विधि भिन्न है। चैत्र नवरात्रि के दौरान कठिन साधना और कठिन व्रत का महत्व है वहीं शारदीय नवरात्रि के दौरान सात्विक साधना, नृत्य और उत्सव आदि का आयोजन किया जाता है।
दोनों ही नवरात्रि में शक्ति के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। परंतु चैत्र नवरात्रि का महत्व महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में अधिक है। वहीं शारदीय नवरात्रि का महत्त्व गुजरात और पश्चिम बंगाल में अधिक है। शारदीय नवरात्रि के दौरान पश्चिम बंगाल और गुजरात में बड़े पंडालों का भी आयोजन किया जाता है। बंगाल में जहाँ शारदीय नवरात्रि दुर्गा पूजा पर्व के रूप में मनाई जाता है, वहीं गुजरात में नवरात्रि के नौ दिनों में डांडिया और गरबे के रात्रि कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है।
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चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। वहीं शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन दशहरे का पर्व मनाया जाता है। चैत्र पक्ष की नवमी तिथि के दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इसलिए चैत्र नवरात्रि की नवमी का दिन राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। वही शारदीय नवरात्रि में भगवान श्रीराम ने 9 दिन तक देवी दुर्गा की आराधना कर दसवें दिन रावण का वध किया था जिसकों विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। साथ ही शारदीय नवरात्रि की दशमी के दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का मर्दन किया था।
चैत्र नवरात्रि में की गई साधना साधक को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करती है। वहीं शारदीय नवरात्रि में की गई साधना सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होती है।
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