Side Effects of Keto Diet: वजन घटाने के लिए लोग कई तरह के वेट लॉस डाइट प्लान को फॉलो करते हैं, उन्हीं में से एक है कीटो डाइट प्लान (Keto diet plan). कीटो डाइट को कीटोजेनिक डाइट (Ketogenic diet) भी कहते हैं. आजकल इस डाइट प्लान की चर्चा खूब हो रही है. हालांकि, कुछ लोग बिना डाइटिशियन या एक्सपर्ट की सलाह लिए ही इस डाइट प्लान को वजन कम करने के लिए फॉलो करने लगते हैं, जिसके कई नुकसान भी हो सकते हैं. आइए जानते हैं कीटो डाइट आखिर है क्या, इसमें क्या-क्या चीजें शामिल होती हैं और बिना एक्सपर्ट की सलाह लिए इसके सेहत पर क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं…
क्या है कीटो डाइट
मैक्स हॉस्पिटल (साकेत, दिल्ली) की चीफ डाइटिशियन रितिका समद्दार बताती हैं कि कीटो डाइट की शुरुआत 1920 में हुई थी. यह एक थेराप्यूटिक डाइट (Therapeutic Diet) है, जिसे एपिलेप्टिक बच्चों (एपिलेप्सी से ग्रस्त) की समस्या को ठीक करने के लिए फॉलो किया जाता है, जिसमें उन्हें कार्बोहाइड्रेट बहुत कम दिया जाता है. इससे उनमें सीजर्स (seizures) की समस्या ठीक होते देखा गया है. लेकिन, अब लोग इसे वेट लॉस के लिए भी फॉलो करने लगे हैं. कोटी डाइट एक हाई फैट डाइट है, जिसमें शरीर एनर्जी के लिए फैट पर निर्भर रहता है. जब आप एक टिपिकल कीटो डाइट फॉलो करते हैं, तो उसमें 80 प्रतिशत कैलोरी फैट से हो, 10 प्रतिशत प्रोटीन और अन्य 2 से 10 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट से होना चाहिए. हम जो नॉर्मल भोजन करते हैं, उससे 50-60 प्रतिशत कैलोरी कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है. कीटो डाइट एक नॉर्मल भोजन से पूरी तरह से उल्टा होता है, इसमें फैट अधिक होता है और कार्बोहाइड्रेट बेहद कम और प्रोटीन नॉर्मल लेते हैं. यदि हम ऑथेन्टिक कीटो डाइट फॉलो करें, तो भारतीय खानपान के परिदृश्य में इस डाइट प्लान को फॉलो करना बहुत मुश्किल है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें सिर्फ नॉनवेजिटेरियन फूड्स और सब्जियां शामिल होती हैं. इसमें न तो डेयरी प्रोडक्ट्स, न ही अनाज और न ही कोई फल शामिल किया जाता है, ऐसे में यह एक कठिन डाइट प्लान है. इसे सिर्फ एक से दो महीने ही फॉलो कर सकते हैं, लाइफ टर्म फॉलो करना बेहद मुश्किल है.
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कीटो डाइट के नुकसान
- डाइटिशियन रितिका कहती हैं, ‘इस डाइट प्लान को फॉलो करने के कुछ शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म इफेक्ट्स हो सकते हैं. इसमें बहुत ज्यादा फैट का सेवन करते हैं, तो इससे ड्राइनेस, चिड़चिड़ापन, मतली, उल्टी, सिर घूमना, चक्कर आना जैसे शॉर्ट टर्म लक्षण शुरुआत में नजर आ सकते हैं. हालांकि, पर्याप्त पानी और लिक्विड के सेवन से इन लक्षणों को दूर कर सकते हैं.
- कीटो डाइट के लॉन्ग टर्म होने वाले नुकसान (keto diet ke nuksan) भी होते हैं. यदि आप इस डाइट को सही तरीके से फॉलो नहीं करते हैं या अनहेल्दी फैट ज्यादा लेते हैं, तो इससे हार्ट, लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है. यदि आपने प्रोटीन और फैट अधिक लिया है और पानी पर्याप्त नहीं पीते हैं, तो इससे शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने के साथ ही किडनी में स्टोन हो सकता है. एक बात का जरूर ध्यान रखें कि जब कभी आप हाई प्रोटीन, फैट लेते हैं, तो उसके साथ तरल पदार्थ काफी अधिक लेना होता है.
- कीटो डाइट को फॉलो करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. इससे सिरदर्द, थकान, मूड स्विंग्स, अनिद्रा, कब्ज भी हो सकता है.
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इन बातों का रखें ध्यान
कीटो डाइट को 4 से 8 सप्ताह या तीन महीने से अधिक फॉलो नहीं करना चाहिए. इसमें लिक्विड इनटेक काफी होना चाहिए. एक एक्सपर्ट या न्यूट्रिशनिस्ट की देखरेख में ही इस डाइट प्लान को फॉलो करना चाहिए. हाई फैट और लो कार्बोहाइड्रेट के कॉनसेप्ट को सही तरीके से फॉलो करना चाहिए. फैट की क्वालिटी पर खास ध्यान रखने की जरूरत होती है, ऐसा नहीं कि आप फैट के नाम पर तली-भुनी चीजें खाने लगें.
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