शिव जी की आरती
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शिव जी की आरती: ॐ जय शिव ओमकारा।
भगवान शिव को भोले बाबा भी कहते हैं। क्योंकि हिन्दू धर्म में शिव ही ऐसे भगवान हैं जो बहुत आसानी से अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी इच्छा पूर्ण करते हैं। शिव बहुत ही दयालु हैं। यदि इनकी पूजा सच्चे मन से की जाये तो यह अपने भक्तों को निराश नहीं करते और उनको मनचाहा वरदान भी देते हैं।
हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार, आदि पंच देवों में शिव प्रमुख देवता हैं। भगवान शिव यानि भोलेनाथ जितनी जल्दी खुश होते हैं, उतनी ही जल्दी क्रोधित भी होते हैं। कहा जाता है की शिव के क्रोध से पूरा संसार काँप उठता है। देवों के देव महादेव के एक मंत्र से ही भक्तों का कल्याण हो जाता है। हिन्दू ग्रंथों में ये लिखा हुआ है की काल भी महादेव के भक्तों का कुछ बिगाड़ नहीं सकता। इसीलिए हर भक्त भोले नाथ को खुश रखना चाहता है।
हर सप्ताह में एक सोमवार ज़रूर आता है। अगर हर सोमवार भक्त भोले नाथ की पूजा अर्चना करें तो शिव अपने भक्तों को हर संकट से बचाते हैं। इनके पूजन के लिए कोई भी निश्चित समय या स्थान नहीं होता। भक्त कभी भी सच्चे मन से भगवान शिव को याद कर सकते हैं। माना जाता है कि शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय सोमवार को उनकी पूजा करना है। इससे शिव आपको अपने भक्त रूप में स्वीकार करते हैं।
शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना करना आवश्यक है। शिव की पूजा करते समय शिव आरती का बहुत महत्व है। शिव की पूजा शिव आरती के बिना अधूरी है।
जय शिव ओमकारा , ॐ जय शिव ओमकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा।। ॐ जय शिव—-।।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे।। ॐ जय शिव–।।
दो भुज चार चतुरभुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे।। ॐ जय शिव–।।
अक्षमाला वनमाला मुंडमाला धारी।
चन्दन मृदमग सोहे भाले शशिधारी।। ॐ जय शिव–।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।। ॐ जय शिव–।।
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता।। ॐ जय शिव–।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनो एका।। ॐ जय शिव–।।
काशी में विश्वनाथ विराजत नंदी ब्रह्मचारी।
नित उठी भोग लगावत महिमा अति भारी।। ॐ जय शिव–।।
त्रिगुण शिव जी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे।। ॐ जय शिव–।।