Thursday, March 10, 2022
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Shiv Puran: भगवान शिव के यह दो अवतार आज भी है जीवित, कहानी जान कर हो जाएंगे हैरान


Shiv ji ke avtaar
– फोटो : google

भगवान शिव के यह दो अवतार आज भी है जीवित, कहानी जान कर हो जाएंगे हैरान

शिव पुराण के अनुसार देवों के देव महादेव ने अनेक अवतारों का वर्णन किया है। शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव ने 19 अवतार लिए थे। पर क्या आप जानते है भगवान शिव के दो अवतार ऐसे भी है जो आज भी जीवित है। आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कौन से है वह दो अवतार जो आज भी जीवित है। 

धरती पर बुराई का नाश करने के लिए भगवान ने समय समय पर अवतार लिए है। भगवान विष्णु और भगवान शिव ने भी कई अवतार लिये है। शास्त्रों में भगवान विष्णु के कलयुग अवतार का भी वर्णन मिलता है। कहते है भगवान विष्णु कलयुग में कल्कि रूप में अवतार लेंगे। वही भगवान शिव के दो अवतार ऐसे है जो आज भी धरती पर मौजूद है।

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भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्र अवतार हनुमान जी के बारे में तो सभी जानते है। हनुमान जी माता अंजनी के पुत्र है। उन्हें माता अंजनी ने पवन देव की कठोर तपस्या से प्राप्त किया था। इसलिए हनुमान जी का एक नाम पवनपुत्र भी है। हनुमान जी की राम जी के प्रति भक्ति तो पूरे जगत में प्रसिद्ध है। आपको बता दे रामायण में जिक्र आता है कि एक बार राम जी की भरी सभा में जब विभीषण ने हनुमान जी का राम जी के प्रति उनकी भक्ति का मज़ाक उड़ाया था तब हनुमान जी ने भरी सभा में अपना सीना चीर के दिखाया था। जिसमे राम जी और सीता जी की छवि थी। 

रामायण में प्रसंग आता है जब रावण माता सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। उस समय भगवान राम माता सीता की खोज कर रहे थे। तब पवन पुत्र हनुमान माता सीता को खोजने के लिए समुद्र लांघकर लंका पहुंचे थे। ऐसे ही और भी कई किस्से हनुमान जी के प्रसिद्ध है। वह अद्भुत बुद्धि और शक्ति से परिपूर्ण है। एक बार की बात है माता सीता ने हनुमान जी से प्रसन्न होकर उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया था। कहते है आज भी हनुमान जी धरती पर भक्तों की रक्षा करने के लिए जीवित है। हनुमान जी के भक्तों की संख्या असंख्य है।

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वही बात करे शिव जी के दूसरे अवतार की तो उसका संबंध महाभारत काल से है। वह है महाभारत काल के योद्धा अश्वत्थामा। अश्वत्थामा का जन्म गुरु द्रोणाचार्य के घर में हुआ था। अश्वत्थामा एक बहुत एक अच्छा योद्धा था। इस बात का प्रमाण महाभारत के युद्ध में मिलता है। जब उनको हराने में असफल हो गए थे। तब युधिष्ठिर ने अश्वत्थामा की झूठी मृत्यु की खबर गुरु द्रोणाचार्य को बताया थी। जिसे गुरु द्रोणाचार्य की मृत्यु हो गयी थी। 

कहते है महाभारत युद्ध में जब कौरवों की हार हो गयी थी। तब एक रात को अश्वत्थामा ने पांचों पांडवों की हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं उन्होंने उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया था। इससे क्रोधित होकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें श्राप दिया था कि तुम चिरकाल तक पृथ्वी पर जीवित रहोगे और भटकते रहोगे।

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