Highlights
- 19 अप्रैल को संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा।
- चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय 19 अप्रैल ही होगा।
19 अप्रैल को संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा। दरअसल, चतुर्थी तिथि में रात के समय चाँद का दर्शन करके पूजा करते हैं, लिहाजा निशिथव्यापिनी चतुर्थी ही ग्राह्य है। यानि जिस दिन चतुर्थी तिथि के साथ रात हो उस दिन चतुर्थी को व्रत रखना चाहिए। चतुर्थी तिथि 20 अप्रैल दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक ही रहेगी। यानि कि- चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय 19 अप्रैल ही होगा।
बता दें कि प्रत्येक महीने के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा की जाती है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी मनायी जाती है, जबकि हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी मनायी जाती है।
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संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 19 अप्रैल, मंगलवार- शाम 04 बजकर 38 मिनट पर
- चतुर्थी तिथि समाप्त– 20 अप्रैल दोपहर 01 बजकर 52 मिनट तक
- चंद्रोदय का समय– रात 09 बजकर 50 मिनट पर
संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा विधि
- इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लें।
- उसके बाद गणपति का ध्यान करें।
- अब एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाकर इसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें।
- फिर गंगा जल छिड़कर पूरे स्थान को पवित्र कर लें।
- इसके बाद गणेश जी को फूल की मदद से जल अर्पित करें।
- इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं।
- लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ाएं।
- इसके बाद नारियल और भोग में मोदक चढ़ाएं।
- गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।
- सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान गणेश की आरती करें।
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इस मंत्र का जाप करें –
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
या फिर
ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
अंत में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त में अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें।