Saturday, February 19, 2022
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Sankashti Chaturthi 2022: कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी? जानें तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त


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Dwijpriya Sankashti Chaturthi 2022 D

Highlights

  • 19 फरवरी को रखा जाएगा संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत
  • भगवान गणेश की कृपा देने वाला संयोग

प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है | इस दिन व्रत कर शाम को चन्द्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ देकर व्रत का पारण किया जाता है और चतुर्थी तिथि में शनिवार को ही चंद्रमा उदयमान रहेगा | इसलिए शनिवार को ही संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। 

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संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत शुभ मुहूर्त

चतुर्थी- 19 फरवरी रात 9 बजकर 57 मिनट से रविवार रात 9 बजकर 5 तक 


चंद्रोदय- 19 फरवरी रात 8 बजकर 24 मिनट पर

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद गणपति का ध्यान करते हुए एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगाजल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं। अब लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। 

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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

शाम के समय चांद के निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के  बाद प्रसाद बाटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।





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