रुस और यूक्रेन के मध्य तनाव, ग्रहों ने खेला बड़ा खेल
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रुस और यूक्रेन के मध्य तनाव, ग्रहों ने खेला बड़ा खेल
रूस-यूक्रेन के मध्य पनप रहे विवाद पर दुनिया भर की निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि इ स्थिति का विश्व भर पर असर भी काफी गंभीर रुप से देखने को मिलेगा. रूसी संघ और यूक्रेन के बीच संबंधों में एक लम्बे समय से जो खिंचतान बनी हुई थी वह अब काफी अधिक बढ़ गई है जो दर्शाती है की किसी प्रकार ग्रहों की स्थिति इन देशों के साथ अन्य देशों को भी आने वाले समय में गंभीर और गहरे असर डालने वाली होगी. दोनों देशों के बीच संबंध शत्रुतापूर्ण रहे हैं,
रूस-यूक्रेन युद्ध 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया के रूसी कब्जे के बाद शुरू हुआ था. 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद, उत्तराधिकारी राज्यों के द्विपक्षीय संबंधों में संबंधों, तनावों और पूर्ण शत्रुता के दौर आए हैं. 1990 के दशक की शुरुआत में, यूक्रेन की नीति में अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की आकांक्षाओं का वर्चस्व था, इसके बाद एक विदेश नीति थी जो यूरोपीय संघ, रूस और अन्य शक्तिशाली राज्यों के साथ संतुलित सहयोग करती थी.
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भारत के संबंध यूक्रेन और रुस दोनों के साथ ही अनुकूल रहे हैं इस कारण भारत के लिए भी ये समय बहुत अधिक संकट की स्थिति का समय है जिसमें किसी के पक्ष में कहने या चुप रहने से भी काम नही बनेगा. यहां यूक्रेन की कुंडली रुस की कुंडली और इस समय के ग्रहों के गोचर की स्थिति को समझना आवश्यक होगा.
यूक्रेन कुण्डली और शनि साढे़साती का प्रभाव
यूक्रेन की कुंडली मकर लग्न की बनती है और यह यूक्रेन की आजादी के समय की कुंडली बनती है जिसमें मकर लग्न के साथ मुख्य रुप से आठवें भाव में चार ग्रहों की युति होती है जिसमें सूर्य, बुध के साथ शुक और गुरु भी स्थित हैं ऎसे में इस कुंडली में अष्टम भाव काफी महत्वपूर्ण बन गया है. . लग्न में मौजूद शनि और चंद्रमा की स्थिति विश योग के प्रभाव के कारण असंतोष और तनाव के जन्म का कारण बनती है इस समय शनि का लग्न पर ही गोचर भी हो रहा है जो शनि साढे़साती का चरम समय दिखा रहा है.इस समय गुरु-शुक्र की दशा का होना द्वादश भाव का असर अपना असर डाल रहा है जो सैन्य गतिविधियों में वृद्धि और मालहानि की कमी को दर्शाता है.
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रुस कुंडली और दशा प्रभाव
12 जून 1990 में रूसी संसद ने औपचारिक रूप से रूस की संप्रभुता की घोषणा की और इस समय की कुंडली कन्य अलग्न की बनती है जिसमें मकर राशि का चंद्रमा है जो फिर से रुस के लिए भी शनि के साढे़साती प्रभाव को दिखा रहा है. इस समय राहु की दशा भी चल रही है और राहु पंचम भाव में चंद्रमा के साथ स्थित है तो स्पष्ट रुप से यह राहु दशा भ्रम की स्थिति का मुख्य कारक बन रही है लेकिन राहु ने प्रगति भी बहुत दी पर शत्रुता की वृद्धि भी इसी समय पर उभरी है जो आने वाले समय में प्रतिबंधों और देशों के साथ इनकी स्थिति को कुछ धूमिल सा भी करने वाली बन सकती है.
दोनों ही देशों के मध्य ग्रहों का प्रभाव जो स्थितियां दर्शा रहा है वह काफी तनाव का समय है लेकिन अभी अप्रैल समय तक स्थितियां काफी उतार-चढ़ाव वाली होगी उसके बाद कुछ बदलाव जरुर दिखाई देंगे.
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