नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia-Ukraine War) के कारण आपको नई कारों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. इसकी प्रमुख वजह चिप संकट (Chip Crisis) है. रूस और यूक्रेन युद्ध अगर लंबा चलता है तो चिप संकट और बढ़ सकता है, जिससे वाहनों के उत्पादन पर असर पड़ेगा.
मूडीज एनालिटिक्स का कहना है कि दोनों देश के बीच जारी सैन्य संघर्ष के कारण वैश्विक स्तर पर पहले से बाधित आपूर्ति श्रृंखला के और प्रभावित होने की आशंका है. इसका सबसे बुरा प्रभाव जारी चिप संकट पर पड़ सकता है. इन दोनों देशों की प्रमुख कच्चे माल की आपूर्ति में बड़ी हिस्सेदारी है, जो सेमीकंडक्टर (Semiconductor Crisis) बनाने में काम आता है.
पैलेडियम और नियॉन के बढ़ेगी मुश्किल
रिपोर्ट के अनुसार, रूस की पैलेडियम की वैश्विक आपूर्ति में 44 फीसदी हिस्सेदारी है. यूक्रेन नियॉन की वैश्विक आपूर्ति में 70 फीसदी का योगदान देता है. इन दोनों कच्चे माल का इस्तेमाल प्रमुखता से चिप बनाने में किया जाता है. मूडीज का कहना है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य संकट गहराता है तो चिप संकट के बुरी तरह प्रभावित होने के आसार है, जो महामारी की शुरुआत से प्रभावित है.
इन उद्योगों पर भी पड़ेगा असर
पैलेडियम और नियॉन का इस्तेमाल प्रमुख रूप से सेमीकंडक्टर बनाने में किया जाता है. इनका इस्तेमाल लगभग हर उद्योग जैसे मोटर वाहन, मोबाइल फोन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स समेत कई अन्य उद्योगों में प्रमुखता से किया जाता है. चिप संकट की वजह से इन सभी उद्योगों पर असर पड़ सकता है.
स्थिति में दिख रहा था सुधार
रूस-यूक्रेन युद्ध में तेजी तब देखने को मिली, जब चिप सप्लाई की स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा था. चिप की किल्लत के कारण ऑटोमोबाइल कंपनियों का उत्पादन प्रभावित रहने से यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री जनवरी 2022 में सालाना आधार पर 10 फीसदी घट गई थी. हालांकि, फरवरी में स्थिति में सुधार देखने को मिला था. हालांकि, अब आगे चिप की किल्लत बढ़ने की आशंका से बिक्री पर भी असर की आशंका बन गई है.
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