Astrology
lekhaka-Gajendra sharma
नई
दिल्ली,
16
मार्च।
आमजन
में
यह
धारणा
है
किकोई
ग्रह
वक्री
हुआ
तो
उसका
अशुभ
परिणाम
ही
मिलेगा,
जबकिऐसा
नहीं
है।
ग्रह
जन्मकुंडली
में
अपनी
स्थिति,
अन्य
ग्रहों
की
दृष्टि,
राशि,
अन्य
ग्रहों
की
युति
आदि
के
अनुसार
अपने
वक्री-मार्गी
होने
का
परिणाम
देते
हैं।
ज्योतिष
के
अनेक
ग्रंथों
में
यह
बात
स्पष्ट
रूप
से
व्यक्त
की
गई
है
किग्रहों
का
वक्री
होना
राजयोग
भी
बनाता
है।
आइए
जानते
हैं
विस्तार
से
नौ
ग्रहों
में
सूर्य
और
चंद्र
कभी
वक्री
नहीं
होते,
ये
दोनों
ग्रह
हमेशा
मार्गी
अर्थात्
सीधी
चाल
से
ही
चलते
हैं।
इसी
प्रकार
छाया
ग्रह
राहू
और
केतु
हमेशा
वक्री
रहते
हैं,
ये
कभी
सीधे
नहीं
चलते।
मंगल,
बुध,
गुरु,
शुक्र
और
शनि
वक्री
और
मार्गी
दोनों
ही
तरह
से
चलते
हैं।
Holi
2022:
अपने
लकी
रंग
से
खेलेंगे
होली
तो
ग्रह
भी
रहेंगे
प्रसन्न
कब
शुभ
परिणाम
देते
हैं
वक्री
ग्रह
- होरासार
नामक
ग्रंथ
का
कथन
है
किवक्री
ग्रह
यदि
अपने
उच्च
स्थान
में
रहते
हैं
तो
शुभ
फल
देते
हैं।
जैसे
मंगल
का
उच्च
स्थान
मकर
है,
यदि
मंगल
मकर
राशि
में
रहते
हुए
वक्री
होता
है
तो
वह
शुभ
परिणाम
देगा। - होरासार
में
ही
यह
भी
कहा
गया
है
कियदि
वक्री
शुभ
स्थान
का
अधिपति
होकर
शुभ
स्थान
में
ही
रहता
है
तो
वह
धन,
कीर्ति,
सम्मान,
यश,
गौरव
प्रदान
करता
है। - सारावली
ग्रंथ
का
कथन
है
कियदि
कोई
ग्रह
शुभ
स्थानों
का
स्वामी
बनकर
उच्च,
स्वक्षेत्र,
मूल
त्रिकोण,
मित्र
क्षेत्रों
में
वक्री
होता
है
तो
उसका
शुभ
फल
जातक
को
प्राप्त
होता
है। - जातक
तत्व
ग्रंथ
भी
इस
बात
का
समर्थन
करता
है
कियदि
कोई
ग्रह
शुभ
स्थानों
का
अधिपति
बनकर
शुभ
स्थानों
में
वक्री
होता
है
तो
राजयोग
प्राप्त
होता
है।
इसके
उलट
यदि
पाप
स्थानों
का
अधिपति
होने
पर
पाप
स्थानों
पर
वक्री
होता
है
तो
परिणाम
दुखद
होता
है। - फलदीपिका
में
तो
यहां
तक
कहा
गया
है
किवक्री
ग्रह
उच्च
दशा
के
ग्रह
के
समान
होता
है।
ऐसा
ग्रह
शत्रु
क्षेत्र
या
पाप
स्थान
में
रहने
पर
भी
शुभ
फल
ही
देता
है। - कुछ
ग्रंथों
में
यह
भी
कहा
गया
है
किपाप
ग्रह
यदि
वक्री
होता
है
तो
वह
शुभ
परिणाम
देता
है,
और
शुभ
ग्रह
वक्री
होता
है
तो
अशुभ
परिणाम
देता
है। - अस्त
ग्रह
के
वक्री
होने
का
कोई
फल
प्राप्त
नहीं
होता,
न
अच्छा
न
बुरा।
English summary
Retrograde of planets is not always bad, its Give good results some Times. here is details.