नई दिल्ली. भारत में इस्तेमाल की गई गाडियों (Used Vehicles) का चलन पिछले कुछ सालों से जोर पकड़ने लगा है. कई लोग यूज्ड गाड़ियों को खरीदने और एक्सचेंज (Purchased and Exchanged) करने के चक्कर में अपना नुकसान भी करा लेते हैं. लोग गाड़ियों का ऑनरशिप ट्रांसफर (Ownership Transfer) करना भी भूल जाते हैं. इस लापरवाही की कीमत उनको तब चुकानी पड़ती है, जब उनके पास कई तरह के नोटिस आने शुरू हो जाते हैं. बता दें कि यह नोटिस चालान का भी हो सकता है या फिर किसी आतंकवादी घटना से संबंधित भी हो सकता है. इसलिए यदि आप अपनी कार बेचते हैं या एक्सचेंज कराते हैं तो आरसी ट्रांसफर (Registration Certificate Transfer) कराना न भूलें.
इस प्रक्रिया से वाहन बेचने वालों को जहां भविष्य के झंझटों से मुक्ति मिलती है तो वहीं, खरीदने वाला कार का मालिक बन जाता है और सभी तरह की कानूनी देनदारी से भी बच जाता है. इसलिए अगर आप कोई पुराना वाहन खरीद या बेच रहे हैं तो आपको कई बातों को ध्यान में रखना चाहिए.
दोपहिया वाहनों की बिक्री भी पिछले महीने 13.44 फीसदी घटकर 10,17,785 इकाई रह गई.
गाड़ियों का आरसी ट्रांसफर कराना क्यों जरूरी?
आरसी को ऑनलाइन करने की इस प्रक्रिया के तहत अब गाड़ी बेचने वाले को सबसे पहले ऑनलाइन अपने व्हीकल का चैजिंग नंबर भरना होगा. इसके बाद विक्रेता को ऑनलाइन ही फॉर्म 28 ओर 30 भरना होगा. इस प्रक्रिया को पूरा करते ही एक ऑनलाइन फॉर्म जनरेट हो जाएगा जिसका प्रिंट आउट निकालर दोनों पक्षों को उसपर हस्ताक्षर करने होंगे.
कितने दिनों के अंदर ऑनरशीप ट्रांसफर होना चाहिए
बता दें कि किसी भी गाड़ी को बेचने के 14 दिन बाद आरसी ट्रासंफर करना अनिवार्य होता है. इस पूरी प्रक्रिया के लिए आपके क्षेत्र के संबंधित परिवहन कार्यालय पर आवेदन करना होता है. गाड़ी से संबंधित कई कागजों की जरूरत होती है, लेकिन आरसी की ओरिजनल कॉपी होना आवश्यक रहता है. इसके अलावा आपको Form 29 भरना होता है, जिसमें खरीदने वाले का पासपोर्ट साइज फोटो और खरीदार के साइन होना जरूरी है. इस फॉर्म को आप परिवहन विभाग के वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं.
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क्या-क्या कागजात लगते हैं?
इसके बाद आपको Form- 30 भी भरना पड़ेगा. इस फॉर्म पर खरीदने और बेचने वाले दोनों के साइन होते हैं. इस फॉर्म पर भी दोनों के पासपोर्ट साइज फोटो लगे होते हैं. इसके बाद आपको एक No objection certificate (Form 28) भरना होगा. हालांकि, यदि राज्य के भीतर ही एक शहर से दूसरे शहर में वाहन को ट्रांसफर किया जा रहा है तो इस फॉर्म की आवश्यकता नहीं होती है.
इस पूरी प्रक्रिया में एड्रेस प्रूफ के लिए आप आधार कार्ड, पासपोर्ट, फोन का बिल, राशन कार्ड आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके बाद फॉर्म के प्रिंट आउट के साथ दूसरे डॉक्यूमेंट जैसे की पॉल्यूशन सर्टिफिकेट,इंश्योरेंस, एड्रेस व पहचान पत्र और ऑरिजन आरसी को अटैच करना होगा. इन डॉक्यूमेंट को प्रिंट आउट फॉर्म के साथ अटैच करने के बाद इसे आरटीओ ऑफिस भेजना होगा. ये सारे डॉक्यूमेंट पोस्ट के जरिए आरटीओ ऑफिस भेजने होंगे. इस तरह गाड़ी खरीदने वाले ग्राहक और बेचने वाले विक्रेता को आरसी ट्रांसफर करने के लिए बार-बार आईटीओ ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.
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