रथ सप्तमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
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द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब कोढ़ रोग से पीड़ित थे। कालांतर में साम्ब ने मित्रवन में चंद्रभागा नदी के संगम पर तट स्थल पर सूर्य देव की कठिन तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने साम्ब को कुष्ट रोग से मुक्त कर दिया था। तदोउपरांत, साम्ब ने कोणार्क में सूर्यदेव का मंदिर निर्माण करने का तय किया। अत: भगवान सूर्य को वैद्य माना जाता है।
- रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर अरुणोदय के समय जगे रहना और स्नान करना बेहद आवश्यक है. यह बहुत महत्वपूर्ण है.
- स्नान के बाद नमस्कार करते हुए सूर्यदेव को जल का अर्घ्य का दें. अगर संभव हो तो सूर्यदेव को गंगाजल से अर्घ्य दें.
- अर्घ्य देते समय सूर्यदेव के अलग-अलग नामों का स्मरण करें. भगवान सूर्य के भिन्न नामों का काम से काम 12 बार जाप करें.
- भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मिट्टी के दीए लें और उन्हें घी से भर दें और प्रज्ज्वलित करें. इसी को रथ सप्तमी पूजन कहते है.
- इस अवसर पर गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य सहस्त्रनाम मंत्र का भी जाप करें. इसका जाप पूरे दिन करें.
- मान्यता है कि ऐसा करने से भाग्य परिवर्तन होना शुरु हो जाता है.
- शास्त्रों के अनुसार रथ सप्तमी के दिन नमक का सेवन नहीं करें. कहते हैं कि इस दिन नमक दान करना शुभ होता है.
- ज्योतिष अनुसार अचला सप्तमी को गाय को गुड़ खिलाना भी शुभ माना गया है.
- ध्यान रखें कि इस दिन गजेंद्र मोक्ष और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें.
- संतान प्राप्ति की इच्छा वाले लोगों को इस दिन व्रत अवश्य रखना चाहिए.
- इस दिन काले रंग के वस्त्र भूलकर भी न पहनें. इस दिन पीले रंग के वस्त्र शुभ माने गए हैं.
- इस दिन मास मदिरा का सेवन नही करना चाहिए .
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