Wednesday, April 6, 2022
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Rahu Ketu transit 2022 : 18 महीने बाद राहु केतु कर रहे हैं राशि परिवर्तन – होगा हर व्यक्ति पर बड़ा असर


18 महीने बाद राहु केतु कर रहे हैं राशि परिवर्तन
– फोटो : google

इस वर्ष 2022 में चार बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन अर्थात् ग्रह गोचर होने वाला है। वे चार ग्रह गुरु, शनि, राहु और केतु हैं। महदशा के रूप में लगभग साढ़े 18 साल से भी अधिक समय बाद राहु का मेष राशि में तथा केतु का तुला राशि में प्रवेश होगा। 2022 में राहु और केतु का एक साथ गोचर ज्योतिषीय प्रभाव साबित होगा। शनि से धीमा चलने वाला ग्रह राहु इस वर्ष 12 अप्रैल को प्रातः 10 बजकर 36 मिनट पर वृषभ से मेष राशि में अपना राशि परिवर्तन करेगा।

जानिए राहु व केतु के गोचर का महत्व और प्रभाव…

छाया ग्रह कहे वाले राहु व केतु ज्योतिष में क्रूर या पाप ग्रह माने जाते हैं। ये ना सौरमंडल में दिखाई देते हैं ना ही इन दोनों का सौरमंडल में कोई वजूद है, छाया ग्रह कहे जाने का भी यही कारण है। नवग्रहों में सूर्य व चंद्रमा को तो मात्र आँखों से ही देखा जा सकता है। बाक़ी बचे बुध, शुक्र, शनि, गुरु व मंगल इन पाँच को दूरदर्शी से देखा जा सकता है। परन्तु, राहु व केतु ज्योतिषीय अवधारणा के अलावा कैसे भी दर्शनीय नहीं हैं। 

वैसे राहु पाप ग्रह है किन्तु राहु कुंडली में मजबूत स्थिति में होने पर बेहद ही अच्छे परिणाम देता है। राहु किसी को भी राजा बनाने का सामर्थ्य रखता है। किन्तु, नीच स्थिति का राहु होने से ये अच्छे-भले राजा से भीख तक मँगवा लेता है।यहाँ तक कि कुंडली के एक महत्वपूर्ण दोष कालसर्प दोष कारण भी राहु व केतु ही होते हैं।

नीच प्रवृत्ति का ग्रह होने के कारण ज्योतिष शास्त्र में राहु किसी विशेष राशि का स्वामी तो नहीं परन्तु प्रभाव सभी पर बराबरी से डालता है। राहु मिथुन में उच्च स्थिति पर तो धनु राशि में यह नीच स्थान पर होता है। लेकिन आद्रा, स्वाति और शतभिषा ये तीनों नक्षत्रों का स्वामी राहु ही है।

पुराणों की माने तो राहु एक असुर है। समुद्र मंथन के समय अमृत की कुछ पी लेने के कारण उसे अमृत्व तो मिला। लेकिन, जब सूर्यदेव और चंद्रदेव ने भगवान विष्णु को सूचित किया, तब गले से नीचे अमृत उतरने से पहले ही भगवान विष्णु ने सुदर्शन से राहु का सिर उसके शरीर से अलग कर दिया। अमृत पी लेने के कारण उसकी मृत्यु तो नहीं हुई वरन् वह दो भागों में विभाजित हो गया।

ज्योतिष शास्त्र में राहु का अत्यधिक महत्व है। राहु के साथ ही केतु का नाम भी लिया जाता है। क्योंकि दोनों लगभग समान ही गति करते हैं। दोनों का गोचर भी लगभग एक ही समय पर होता है। राहु एक वक्री ग्रह है। ज्योतिष में राहु द्वारा सूर्य व चंद्र ग्रहण को शत्रु माने जाने का कारण भी यही मानते हैं। अनैतिक कर्मों का कारक राहु का गोचर करना एक बेहद बड़ी ज्योतिषीय घटना होती है। राहु, शनि से भी ज़्यादा गम्भीर परिणाम देता है। किसी राशि में शनि साढ़े सात साल का गोचर करता है तो राहु-केतु लगभग अठारह माह तक विचरण करते हैं।

राहु-केतु के राशि परिवर्तन से कई राशियों पर शुभ तो कई पर अशुभ परिणाम भी पड़ने वाला है। राहु का गोचर मेष, वृषभ, मीन, कन्या, मकर तथा धनु के लिए अशुभ और मिथुन, सिंह, कर्क, तुला, वृश्चिक और कुम्भ हेतु शुभ होने वाला है। जातक की कुंडली में राहु जिस स्थान या खाने में राशि परिवर्तन करेगा, वैसा ही उपाय करके आप दुष्प्रभाव से बच सकते हैं।

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