Friday, December 24, 2021
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Pradosh Vrat 2021: प्रदोष व्रत कब? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


Pradosh Vrat 2021 : पौष आरंभ हो चुका है. पौष मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत को विशेष माना गया है. प्रदोष कब है? आइए जानते हैं.

पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष का पहला प्रदोष व्रत  31 दिसंबर 2021, शुक्रवार (Pradosh Vrat 2021) को है. पंचांग के मुताबिक इस दिन पौष मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत भी कहा जाता है. ये प्रदोष 2021 का अंतिम प्रदोष भी है. इस कारण भी इस दिन का महत्व बढ़ जाता है. इस दिन शुक्रवार होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2021) के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रत करने से भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ शुक्र दोष (Shukra Dosh) से भी मुक्ति मिलती है. साल में कुल 24 प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखे जाते हैं. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में. 

प्रदोष व्रत का महत्व
भगवान शिव को प्रदोष व्रत (Bhagwan Shiva Pradosh Vrat 2021) अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा पाने के लिए हर माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) सबसे उत्तम माना गया है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि (Triyodashi Tithi) को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती (Mata Parvati Puja) की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. इतना ही नहीं, सप्ताह के जिस दिन व्रत होता है उसे उसी नाम से बुलाया जाता है. इस व्रत को विधि पूर्वक करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है. संतान को लाभ मिलता है और बेहतर स्वास्थ्य तथा लंबी आयु प्राप्त होती है.

प्रदोष व्रत, शुभ- मुहूर्त
पौष, कृष्ण त्रयोदशी तिथि आरम्भ- 31 दिसंबर 2021, शुक्रवार प्रात: 10 बजकर 39 मिनट.
पौष, कृष्ण त्रयोदशी तिथि समापन- 1 जनवरी 2022, शनिवार को प्रात: 07 बजकर 17 मिनट.
पूजन समय- प्रदोष काल – 31 दिसंबर, शुक्रवार को  शाम 05:35 से 08:19 बजे तक.

प्रदोष व्रत पूजन विधि (Pradosh Vrat Pujan Vidhi)
प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद घर के मंदिर में ही दीप प्रज्वलित करें. अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो व्रत करें. भोलेनाथ का गंगाजल (Gangajal) से अभिषेक कर, पुष्प अर्पित करें.

इस भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ मां पार्वती (Maa Parvati) और गणेश जी की पूजा (Ganesha Ji Puja) भी करें. भगवान शिव को भोग लगाएं. प्रदोष व्रत के दिन इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को शिव को सात्विक चीजों (Satvik) का ही भोग लगाएं. शिव जी की आरती अवश्य करें. कहते हैं इस दिन भगवान शिव ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें.

 



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