Thursday, December 16, 2021
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Pradosh Vrat 2021: ऐसे करें भगवान शिव की पूजा, जानिए गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त


Image Source : INSTAGRAM/TANTRAYOGILINDA
Guru Pradosh Vrat 2021

Highlights

  • आज गुरुवार का दिन होने से आज गुरु प्रदोष व्रत किया जायेगा |
  • प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की करें विधि-विधान से पूजा

प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शंकर को समर्पित प्रदोष व्रत करने का विधान | त्रयोदशी तिथि में रात्रि के प्रथम प्रहर, यानि दिन छिपने के तुरंत बाद के समय को प्रदोष काल कहते हैं और प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही किया जाता है।

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार अलग-अलग वार को पड़ने से प्रदोष का नामकरण भी अलग-अलग किया जाता है । जैसे सोमवार को प्रदोष व्रत पड़ता है तो सोम प्रदोष कहलाता है | वैसे ही आज गुरुवार का दिन होने से आज गुरु प्रदोष व्रत किया जायेगा |

गुरु प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को जीवन में वैभव की प्राप्ति होती है, साथ ही कर्ज से भी मुक्ति मिलती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है | शिव भक्तों में इस व्रत का काफी महत्व है। क्योंकि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। 

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प्रदोष व्रत त शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि  सुबह 2 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर पूरा दिन पार कर 17 दिसंबर की सुबह 4 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। प्रदोष व्रत रखने वाले जातक भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल शाम 5 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 07 मिनट तक कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

आज स्नान आदि के बाद सबसे पहले भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि से पूजा करना चाहिए और फिर संध्या के समय, यानि प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए । दिनभर भगवान शिव के मंत्र महामृत्युजंय के मंत्र का जाप करें।

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ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम।


उर्वारुकमिव बन्धनात मृत्युर्मुक्षीय माम्रतात।|

शाम को दोबारा स्नान करके शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। माना जाता है कि भगवान शिव को अभिषेक अत्यंत प्रिय है| पूजा के समय पवित्र भस्म से स्वयं को पहले त्रिपुंड लगाना अत्यंत शुभ होता है| साथ ही सत्तू का बना प्रसाद सभी को बांट दें।

इस प्रकार जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा आदि करता है और प्रदोष का व्रत रखता है, वह सभी बन्धनों से मुक्त होकर सभी प्रकार के सुख-समृद्धि को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।





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