मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी IIT कानपुर में थे, जहां उन्होंने ब्लॉकचेन पर आधारित डिज़िटल डिग्री जारी करते हुए यह इशारा दे दिया है कि सरकार पूरी तरह से क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ नहीं है। इस इवेंट में सभी छात्रों को ब्लॉकचेन पर काम करने वाली एक खास टेक्नोलॉजी के जरिए डिज़िटल डिग्री दी गई।
इससे पहले इसी महीने प्राधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत में पॉलिसी मेकर्स का मानना है कि डिज़िटल करेंसीज में अनियमित लेनदेन देश की आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन यदि इसका इस्तेमाल सही तरीके से किया जाए, तो इससे लोकतंत्र मजबूत हो सकता है। शुरुआत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की योजना बनाने के बाद अब मोदी सरकार क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल को विनियमित करने के लिए कानून लाने पर विचार कर रही है।
भारत में अनुमानित रूप से 15 मिलियन से 20 मिलियन क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टर्स हैं। इंडस्ट्री का अनुमान है कि इनकी कुल क्रिप्टो होल्डिंग्स लगभग 40,000 करोड़ रुपये है। हालांकि सरकार इसको लेकर कोई आधिकारिक डेटा नहीं देती है।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने क्रिप्टोकरेंसी के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। सुब्बाराव ने कहा कि अगर क्रिप्टोकरेंसीज को वैध किया जाता है, तो ये देश में मुद्रा आपूर्ति और मुद्रास्फीति प्रबंधन पर रिजर्व बैंक के कंट्रोल को छीन सकती हैं। इस सप्ताह नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी (NYU) स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए सुब्बाराव ने अपना आकलन शेयर किया था।
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