Sunday, March 6, 2022
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Phulera Dooj 2022: फुलेरा दूज भक्ति भाव के रंगों से भरा त्यौहार 


फुलेरा दूज भक्ति भाव के रंगों से भरा त्यौहार 
– फोटो : google

फुलेरा दूज भक्ति भाव के रंगों से भरा त्यौहार 

फुलेरा दूज का त्योहार भगवान कृष्ण को समर्पित है और मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है. भक्त पूरी भक्ति के साथ भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और समृद्धि और खुशी का जीवन जीने के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं. इस दिन लोग अपने घरों में भगवान कृष्ण की मूर्तियों को खूबसूरती से सजाते हैं. इस दिन अपने देवता के साथ फूलों से होली खेलने की रस्म होती है

दांपत्य सुख प्राप्ति का शुभ समय 

इस वर्ष फुलैरा दूज के समय पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग का निर्माण होने से इस योग की शुभता में वृद्धो होगी. शुभ योगों में मनाया जाने वाला ये पर्व पूजन परेशानियों से मुक्ति दिलाने में सहायक होगा. इस समय किसी वस्तु की खरीदारी इत्यादि करना भी शुभ होगा तथा स्नान दान कार्य द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति होगी. इस समय पर किया जाने वाल अपूजन दांपत्य दोषों को समाप्त करने हेतु भी बहुत उत्तम होगा. 

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फुलेरा दूज शुभ मुहूर्त समय 

फुलेरा दूज शुक्रवार, 4 मार्च 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है. फुलैरा दूज का पर्व शुभ फलदायक होता है तथा इस समय पर श्री कृष्ण पूजन करने से सौभाग्य एवं सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. 

द्वितीया तिथि – 03 मार्च, 2022 को 21:36 बजे

द्वितीया तिथि समाप्त – 04 मार्च, 2022 को 08:45 बजे बजे

.भगवान कृष्ण के लगभग सभी मंदिरों में, विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र में जहां भगवान ने अपना अधिकांश जीवनकाल बिताया, फुलेरा दूज के पवित्र दिन पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. मंदिरों को खूबसूरती से सजाया गया है और दूर-दूर से भक्तों की भीड़ उमड़ती है. श्रीकृष्ण की मूर्ति को एक सफेद गरबा में सजाया गया है और एक रंगीन और फूलों की लता सजाए गए मंडप के नीचे बैठाया जाता है. होली की तैयारी करने के लिए देवता की कमर पर गुलाल के साथ कपड़े का एक टुकड़ा भी बांधा जाता है. रात में ‘शयन भोग’ के बाद रंग हटा दिया जाता है. भगवान कृष्ण का ऐसा सुंदर स्वरुप देखने से समस्त कष्ट समाप्त हो जाते हैं भक्त सुखों में डूब जाता है.  

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इस दिन विशेष ‘भोग’ तैयार किया जाता है जिसमें ‘पोहा’ और अन्य विशेष व्यंजन शामिल होते हैं. भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाने के बाद यह ‘भोग’ भक्तों के बीच ‘प्रसाद’ के रूप में वितरित किया जाता है. ‘संध्या आरती’ और ‘रसिया’ दिन के प्रमुख अनुष्ठान होते हैं. 

भगवान कृष्ण के भक्त मंदिरों में आयोजित होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं भक्त भगवान कृष्ण की स्तुति में भजन, भक्ति गीत गाते हुए दिन बिताते हैं. होली के स्वागत के संकेत के रूप में भगवान कृष्ण की मूर्तियों पर कुछ रंग भी लगाए जाते हैं. कार्यक्रम के अंत में, मंदिर के पुजारी मंदिर में एकत्रित सभी भक्तों पर रंग या ‘गुलाल’ छिड़कते हैं. ये उत्सव देखने लायक होते हैं, खासकर मथुरा और वृंदावन मंदिरों में फूलों और रंगों की होली इस दिन विशेष रुप से खेली जाती है.देश भर से भक्त इस दिन का आनंद लेने इन पवित्र स्थानों पर जरूर जाते हैं.  

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