नई दिल्ली. भारत के क्रिकेट इतिहास (Hitory of Indian Cricket) पर नजर डाली जाए तो आज का दिन भारतीय क्रिकेट फैंस को काफी उदास कर देने वाला है. 26 साल पहले 13 मार्च 1996 को विश्व कप मैच में जो कुछ घटित हुआ उसने करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का दिल तोड़ दिया. चाहे भारतीय खिलाड़ी हो या फिर स्टैंड में मौजूद दर्शक, चारों तरफ गम और उदासी पसरी थी. जी हां बात हो रही है भारत और श्रीलंका (India vs Sri Lanka) के बीच कोलकाता में खेले गए 1996 क्रिकेट वर्ल्ड कप सेमीफाइलन मैच की. यह वही 1996 क्रिकेट विश्व कप का मैच था जिसमें विनोद कांबली (Vinod Kambli) रोने लगे थे. वहीं, भारत को हारता हुआ देख क्रिकेट फैंस ने स्टैंड में आग लगा दी.
कोलकाता के ईडन गार्डन्स (Eden Gardens, Kolkata) पर खेले गए इस पहले विश्व कप सेमीफाइनल मुकाबले में भारत ने टॉस जीतकर फिल्डिंग की. श्रीलंका की शुरआत अच्छी नहीं रही और पहला विकेट सिर्फ एक रन पर गिर गया. सलामी बल्लेबाज रोमेश कालूवितर्णा बगैर खाता खोले आउट हुए. जबकि सनथ जयसूर्या भी 1 बनाकर चलते बने. श्रीलंका को ये दोनों शुरुआत झटके जवागल श्रीनाथ ने दिए. वहीं, तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए असांका गुरुसिघा भी एक रन बनाकर आउट हो गए. एक समय श्रीलंका ने अपने 3 विकेट 35 रनों पर खो दिए थे.
डिसिल्वा-महानामा ने पारी को संभाला
इसके बाद अरविंद डिसिल्वा और रोशन महानामा ने श्रीलंका की पारी को संभाला. इन दोनों बल्लेबाजों ने भारतीय बॉलिंग का सामना करते हुए अर्धशतक लगाए. अरविंद डिसिल्वा 66 और रोशन महानामा 58 रन बनाकर आउट हुए. कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने 35 और हसन तिलकरत्ने के बल्ले से 32 रनों की पारी निकली. निचले क्रम में चमिंडा वॉस ने 16 गेंदों पर 23 रनों की तेज-तर्रार पारी खेली. इस तरह श्रीलंका अपनी पारी में 8 विकेट पर 251 रन बनाने में सफल रहा.
भारत की खराब शुरुआत
जीत के लिए 252 रनों का लक्ष्य हासिल करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही और पहला विकेट 8 रन पर धराशायी हो गया. पारी का आगाज करने आए नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Sidhu) 3 रन बना पाए. इस दौरान सचिन (Sachin Tendulkar) ने एक छोर पर टिककर बल्लेबाजी करते हुए संजय मांजरेकर के साथ 90 रनों की साझेदारी की. जिस समय तेंदुलकर और मांजरेकर खेल रहे थे तो ऐसा लगा भारत बड़ी आसानी से टारगेट हासिल कर लेगा. लेकिन इसी दौरान जयसूर्या की गेंदों ने रंग दिखाया और उन्होंने सचिन समेत मांजरेकर को पवेलियन भेज दिया. चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन खाता भी नहीं खोल पाए. कुल मिलाकर भारत ने 110 रनों पर 5 विकेट खो दिए.
बेकाबू हुई भीड़
शीर्ष पांच विकेट आउट होने के बाद ईडन गार्डन्स पर मौजूद भारतीय फैंस बेकाबू हो गए. वह भारत को हारता हुए देखना नहीं चाहते थे. टीम इंडिया ने अपने 5 विकेट महज 22 रनों पर खो दिए. भारत को मैच जीतने के लिए 15.5 ओवर में 132 रन बनाने थे. जो टीम इंडिया के लिए टेढ़ी खीर थी. इस दौरान बेकाबू भीड़ ने स्टैंड में आग लगा दी. इसके अलावा फिल्डिंग कर हे श्रीलंकाई फिल्डरों पर बोतलें फेंकी. कुल मिलाकर मैदान पर अफरा-तफरी का माहौल था. मैच रेफरी क्लाइव लॉयल ने 15 मिनट तक खेल रोक दिया. वहीं, जब दोबारा खेल शुरू हुआ तो आक्रोशित भीड़ ने फिर वही करना शुरू कर दिया. जिसके बाद मैच रेफरी ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया. खेल रोके जाने तक भारत ने 8 विकेट पर 120 रन बनाए थे.
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रोते हुए लौटे थे विनोद कांबली
जब श्रीलंका को विजेता घोषित किया गया तो उसके खिलाड़ी फाइनल में पहुंचने का जश्न मना रहे थे. 10 रनों पर नाबाद रहे विनोद कांबली को यकीन नहीं हुआ कि भारत विश्व कप से बाहर हो गया है. जब कांबली मैदान से वापस पवेलियन लौट रहे थे तो वह रो रहे थे. विनोद कांबली को आज भी इस बात का गम है कि उस मैच में किसी भारतीय बल्लेबाज ने उनका साथ नहीं दिया. कई साल बाद एक इंटरव्यू में कांबली ने कहा था अगर किसी खिलाड़ी ने मेरा साथ दिया होता तो मैं मैच निकाल देता. कुल मिलाकर यह एक ऐसा मैच था जिसकी याद आज भी भारतीय क्रिकेट फैंस परेशान कर देती है.
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