टोरंटो: कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोविड-19 टीकाकरण में असमानता ने ओमिक्रॉन को पैदा होने दिया. कनाडा रिसर्च चेयर इन एजिंग एंड इम्युनिटी, मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के डॉन एमई बोडिश और मैकमास्टर विश्वविद्यालय में इंग्लिश एंड कल्चरल स्टडीज की प्रोफेसर चंद्रिमा चक्रवर्ती का कहना है कि ओमिक्रॉन के बढ़ने की वजह टीकाकरण में असमानता है.
उन्होंने कहा कि कनाडा में कोविड-19 वैक्सीनेशन की दर 76 प्रतिशत है. ये अफ्रीका महाद्वीप में टीकाकरण की दर से दस गुना ज्यादा है.
वायरस के बढ़ने और म्यूटेशन की प्रक्रिया तेज हुई
समृद्ध पश्चिमी देशों में जहां लोगों को टीकों की कई खुराकें मिल गई हैं, वहीं बड़ी संख्या में अफ्रीका में और भारतीय उपमहाद्वीप में ऐसे लोग हैं जिन्हें टीके की एक भी खुराक नहीं मिली है. इसने वायरस को बढ़ने और म्यूटेशन की प्रक्रिया को तेज करने में मदद की है.
जब भी कोविड-19 को थोड़ा ठहरने का मौका मिलता है, ये नया रूप ले लेता है और संक्रमण बढ़ने लगता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक साधन संपन्न देश उन लोगों के साथ टीके साझा नहीं करते जो इन्हें वहन करने की स्थिति में नहीं हैं.
इसके साथ वैज्ञानिकों ने ये भी कहा कि कनाडा के लिए घरेलू इस्तेमाल के लिए उपलब्ध टीकों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन्हें साझा करने के बीच संतुलन बनाने और क्षेत्रीय निर्माताओं को प्रोत्साहित करना पहले से अधिक मुश्किल हो गया है.
पहले से ऑर्डर की गई टीके की लाखों खुराकें
वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोविड-19 संकट जब शुरू हुआ था, प्रमुख निर्माताओं ने सरकारों को अपने टीके पहले ही बेच दिए थे. ये तब हुआ जब टीकों का परीक्षण भी शुरू नहीं हुआ था और ये बनने के क्रम में थे. ये एक प्रकार से अपने काम के लिए धन जुटाने जैसा था.
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कनाडा और अन्य विकसित देशों ने अन्य देशों के साथ अपने अतिरिक्त टीकों को साझा करने के वादे के साथ, लाखों खुराक का आर्डर दिया, यह संख्या उनकी आबादी को कई बार टीका लगाने की संख्या जितनी थी. यह इतनी जल्दी नहीं हुआ. साजो-सामान, कानूनी और अन्य बाधाओं ने टीकों के बड़े स्तर पर वितरण में बाधा डाली, लेकिन उन्हें दूर करने के लिए इच्छाशक्ति की कमी भी साफ दिखाई देती है.
ओमिक्रॉन का आना
वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन को बढ़ता देखना बेहद निराशाजनक है. संक्रमण की शुरूआत से ही यह स्पष्ट हो गया था कि कोविड-19 के प्रसार को दुनियाभर में कम किया जाना जरूरी है, खासतौर पर इसके नए स्वरूपों को पैदा होने रोकने के लिए. अल्फा स्वरूप के सामने आने के साथ ही ये स्पष्ट हो जाना चाहिए था, डेल्टा स्वरूप के सामने आने के बाद ये और अधिक स्पष्ट हो जाना चाहिए था. अगर संक्रमण के मामले अधिक हों और टीकाकरण की रफ्तार कम हो तो डेल्टा और ओमिक्रॉन जैसे स्वरूप बढ़ेंगे.