डिजिटल डेस्क, बीजिंग। एड्स के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1988 में हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में नामित किया, जिसके जरिए दुनिया भर के देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से इस दिन एड्स की रोकथाम के बारे में ज्ञान का प्रसार करने के लिए संबंधित गतिविधियों का आयोजन करने का आह्वान किया जाता है। रेड रिबन एचआईवी पॉजिटिव लोगों के साथ एकजुटता और एड्स के साथ जी रहे लोगों के प्रति लोगों की देखभाल और समर्थन का वैश्विक प्रतीक है। 1 दिसंबर, 2021 को 34वां विश्व एड्स दिवस है। चीन में इस साल का विषय है जीवन प्रथम, एड्स का खात्मा, स्वास्थ्य व समानता। यह विषय जन प्रथम, जीवन प्रथम, सह-निर्माण, सह-शासन और साझा करने, और एड्स सहित महामारी द्वारा लाए जाने वाले जोखिमों और चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए हाथ मिलाने और रोकथाम का लक्ष्य प्राप्त करने, एड्स और महामारी को समाप्त करने के लिए प्रयास करने पर जोर देता है। एड्स एक गंभीर संक्रामक रोग है, जिससे काफी नुकसान होता है और उच्च मृत्यु दर है। एचआईवी वायरस मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट करता है।
एक बीमारी के रूप में, एड्स अद्वितीय है। कारण यह नहीं है कि उसका अस्थायी रूप से पूरी तरह से इलाज नहीं किया जाता है,बल्कि इस से मानव समाज के नैतिक मूल्यों पर चुनौतियां पैदा हुईं। चीन ने एड्स के प्रसार को रोकने में काफी प्रगति हासिल की है, लेकिन एचआईवी से पैदा व्यापक सामाजिक भेदभाव अभी भी एक बड़ी समस्या है। सामाजिक सद्भाव को नष्ट करने वाले परिणाम संक्रामक बीमारी से कहीं अधिक गंभीर हैं, और एड्स के खिलाफ भेदभाव बदले में एड्स की रोकथाम पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। एड्स का पूरी तरह से इलाज करना भले ही थोड़ी दूर हो, लेकिन भेदभाव का विरोध हमें इस समय करना चाहिए, और इसमें सभी को भाग लेना चाहिए। चीन का एड्स प्रबंधन विनियम यह भी निर्धारित करता है कि एचआईवी पॉजिटिव लोगों और एड्स के साथ जी रहे लोगों और उनके जीवनसाथियों, बच्चों के रोजगार, स्कूल जाने, चिकित्सा उपचार लेने और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के अधिकार कानून द्वारा संरक्षित हैं। कोई भी कंपनी, संस्था या व्यक्ति उन के साथ भेदभाव नहीं कर सकता है। कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने की गारंटी के साथ साथ हमारे प्रत्येक नागरिक के स्वेच्छा से भेदभाव न करने की स्थिति में एड्स एक सामाजिक समस्या नहीं रहेगी।
(आईएएनएस)