Cloud Storage पर सुरक्षित रहने के मंत्र, कोई नहीं कर पाएगा हैक
नई दिल्ली. माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने गुरुवार को अपने हजारों क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing) कस्टमर को चेतावनी दी कि हैकर्स उनके डेटाबेस में सेंधमारी कर सकते हैं. कंपनी ने एक मेल के जरिये कहा है कि ये सेंधमार न सिर्फ आपके डेटाबेस को पढ़ सकते हैं, बल्कि इसे एडिट या फिर डिलीट भी कर सकते हैं. चूंकि माइक्रोसॉफ्ट खुद कंपनियों द्वारा सेट किए पासवर्ड (Passwords) या फिर कीज़ (Keys) को बदल नहीं सकता तो कंपनियों को ईमेल करके नई कीज़ (Keys) सेट करने को कहा है.
इस तरह की क्लाउड स्टोरेज सिक्योरिटी (Cloud Storage Security) से जुड़े कई मामले आए दिन उठते रहते हैं. आखिर यह क्लाउड स्टोरेज है क्या? इसके क्या फायदे हैं और क्या नुकसान हैं? क्या आप और हम भी इससे प्रभावित हो सकते हैं या सिर्फ बड़ी कंपनियों के डेटाबेस को ही हैकर्स अपना निशाना बनाते हैं? तो चलिए सबकुछ समझते हैं-
समझिये क्लाउड स्टोरेज (Cloud Storage) है क्या
किसी भी डाटा की स्टोरेज 2 तरह से होती है. एक तो लोकल और दूसरी क्लाउड पर. आपकी कंप्यूटर में, पेन ड्राइव में या हार्ड डिस्क में स्टोर किए गए डेटा को लोकल स्टोरेज कहा जाता है. वहीं दूसरी ओर कंप्यूटर की बजाए किसी बड़े डाटा सेंटर पर अपना डाटा स्टोर करना, जिसे कि कहीं से भी कभी भी एक्सेस किया जा सके, को क्लाउड स्टोरेज कहा जाता है.
ये भी पढ़ें – Google Photos का विकल्प बन सकता है Degoo! 100GB फ्री स्पेस की पेशकश
क्लाउड स्टोरेज में आपका डाटा कहीं दूर सर्वर पर मौजूद होता है और आप इंटरनेट की मदद से उसे कहीं से भी एक्सेस कर सकते हैं. आपने जो फाइल अपलोड की हैं, उसे कहीं भी डाउनलोड कर सकते हैं, उनमें बदलाव कर सकते हैं या फिर उन्हें डीलिट भी कर सकते हैं. उदाहरण के लिए गूगल ड्राइव (Google drive), माइक्रोसॉफ्ट का वन ड्राइव (One Drive) या ड्रॉप बॉक्स (Drop Box). इन सभी क्लाउड स्टोरेज सिस्टम्स पर आप अपनी फाइल्स को स्टोर करके रखते हैं और कहीं से भी किसी भी डिवाइस से इनको इस्तेमाल कर पाते हैं. ये कंपनियां कुछ हद तक स्टोरेज फ्री में देती हैं और उसके बाद ज्यादा स्पेस (स्टोरेज) पाने के लिए पैसा चुकाना पड़ता है.
किराये का मकान है क्लाउड स्टोरेज
कुछ लोग समझते हैं कि एक बार पैसा देने के बाद वे अपनी फाइलों को हमेशा के लिए स्टोर करके रख सकते हैं. लेकिन ये सच नहीं है. हर स्टोरेज सर्विस प्रोवाइडर आपको स्पेस देने के बदले आपसे रेंट (किराया) लेता है. किराया मासिक हो सकता है या फिर सालाना. जब तक आप पैसा देते रहेंगे, तब तक आपके पास ऑनलाइन स्टोर रहेगा. पैसा नहीं देने पर आपका स्टोर और डेटा दोनों जाते रहेंगे.
क्लाउड स्टोरेज के फायदे (Benefits of cloud storage)
इस्तेमाल करना आसान: क्लाउड स्टोरेज सिस्टम को इस्तेमाल करना उतना ही आसान है जितना कि आप अपने कंप्यूटर में अलग-अलग फोल्डर्स और फाइल्स को मेनटेन करते हैं.
सुरक्षा: हालांकि क्लाउड स्टोरेज में सुरक्षा सबसे बड़ा चिंता का विषय है, फिर भी यह क्लाउड स्टोरेज किसी भी लोकल डाटा सेंटर से बेहतर है.
शेयरिंग: क्लाउड स्टोरेज का इस्तेमाल करने वाली एक कंपनी के सभी कर्मचारी एक ही जगह से एक फाइल को एक्सेस कर सकते हैं. ऐसे में डाटा और फाइल की शेयरिंग बहुत आसान हो जाती है.
बैकअप: हम अपने लोकल कंप्यूटर में किसी चीज को वापस करने के लिए अनडू (Undo) का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अनडू करने की एक लिमिट होती है. परंतु क्लाउड स्टोरेज में रखे फाइलों को हम 1 दिन, 2 दिन, 3 दिन या फिर किसी निश्चित वर्शन को अनडू करके पा सकते हैं. कुल मिलाकर यहां हर फाइल का बैकअप मौजूद होता है.
क्लाउड स्टोरेज के नुकसान (Drawbacks of cloud storage)
डेटा की सुरक्षा: इस खबर की शुरुआत डेटा सेफ्टी से ही हुई है. आप देख सकते हैं कि माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के डेटा सेंटर (क्लाउड स्टोरेज) भी सुरक्षित नहीं है. यदि हैकर्स सुरक्षा की दीवार भेद पाने में सफल होते हैं तो पूरा डेटा गायब हो सकता है.
इंटरनेट पर निर्भरता: यदि आपके पास अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट नहीं है तो आपको क्लाउड पर स्टोर की गई फाइलें डाउनलोड करने में परेशानी हो सकती है.
खर्च: क्लाउड स्टोरेज का इस्तेमाल अधिकतर बड़े बिजनेस के लिए ही किया जाता है. ऐसे में उन्हें इसके लिए मासिक शुल्क या फिर सालाना शुल्क चुकाना पड़ता है. ये शुल्क काफी ज्यादा होता है. यदि कोई सस्ता प्लान लिया जाए तो कई सारे फीचर्स को कंप्रोमाइज़ करना पड़ जाता है.
क्लाउड स्टोरेज करके भी यूं रहें सुरक्षित
सेंसटिव इन्फॉर्मेशन स्टोर करने से बचें: कोशिश करें कि अपने बैंक अकाउंट और उनके पासवर्ड या फिर इस तरह की कोई भी जानकारी क्लाउड पर न डालें.
पासवर्ड प्रोटेक्टेड फाइल्स (Password Protected Files): फाइल या फोल्डर को क्लाउड पर डालते समय पासवर्ड लगाना न भूलें.
डेटा इन्क्रिप्ट करके डालें: क्लाउड सर्विस लेते समय आप को ध्यान में रखना चाहिए कि वह आपकी फाइल को पूरी तरह से इंक्रिप्ट करके रखें. आपको खुद भी ध्यान रखना चाहिए कि फाइल्स को अपलोड करने से पहले आप खुद उन्हें इंक्रिप्ट कर दें.
टू-फैक्टर ऑथंटीकेशन (Two factor authentication): यदि आपका क्लाउड स्टोरेज प्रोवाइडर टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन की सुविधा देता है तो इसका इस्तेमाल जरूर करें. टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन के बाद कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति आपके डेटा को एक्सेस नहीं कर पाएगा.
पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.