Festive discounts on cars: त्योहारी सीजन चल रहा है. इन दिनों लोग खूब खरीदारी करते हैं. कंपनियां भी इस मौका का फायदा उठाने के लिए अपने उत्पादों पर आकर्षक ऑफर देते हैं. कहीं दिवाली सेल चल रही होती है तो कहीं बंपर डिस्काउंट के बोर्ड टंगे होते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं है. इन दिनों बाजार से फेस्टिव सेल या फेस्टिव डिस्काउंट जैसे ऑफर लगातार कम होते जा रहे हैं.
ऑटोमोबाइल सेक्टर की ही बात करें तो इस बार दीपावली पर वाहन निर्माताओं ने नई कारों पर बहुत कम छूट की पेशकश की है और कुछ कारों पर तो किसी तरह का कोई डिस्काउंट नहीं दिया जा रहा है. जबकि इस सीजन में ऑफ़र और योजनाएं आमतौर पर चरम पर होती हैं.
बताया जा रहा है कि मांग में इजाफा और वाहनों के निर्माण में कमी ने वाहन उद्योग को एक विक्रेता बाजार में बदल दिया है. और कार ही नहीं दुपहिया वाहन बाजार में भी कोई खास छूट देखने को नहीं मिल रही है. यह स्थिति केवल ऑटो सेक्टर की नहीं है, अन्य बाजारों का भी कमोवेश यही हाल है. नई चीजों पर ऑफर या छूट जैसे टैग गायब हैं.
किसी भी तरह का प्रोत्साहन चाहे वह डिस्काउंट के रूप में हो या सर्विस के तौर पर, भारतीय बाजार का खासकर कार बाजार का एक हिस्सा रहा है. दीपावली या नए साल पर ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को लुभाने के लिए कार निर्माता लोगों को नई-नई छूट या सर्विस का ऑफर देते हैं जिससे वाहनों की बिक्री इस दौरान काफी बढ़ जाती है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. हालांकि, वाहनों की बिक्री लगातार बढ़ रही है.
इस साल फेस्टिव सीजन के दौरान किसी नई कार पर औसत प्रोत्साहन 12,000 रुपये के आसपास है, जो पिछले साल की तुलना में आधा है. जबकि 2019 के फेस्टिव सीजन में औसत प्रोत्साहन तीन गुना था.
बाजार के जानकार बताते हैं कि पिछले दो वर्षों की तुलना में भारत में 88 विभिन्न कार मॉडलों में से 28 मॉडलों पर कोई ऑफर नहीं दिया जा रहा है. इनमें से ज्यादातर वे मॉडल हैं जो चलन में हैं. कॉम्पैक्ट स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल सेगमेंट (sport utility vehicle) पर कोई डिस्काउंट नहीं दिया जा रहा है.
सेमीकंडक्टर (चिप) के संकट (semiconductor crisis) के चलते वाहन निर्माण की संख्या को सीमित कर दिया है. और इधर, लोगों की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है.
चिप की कमी से चालू वित्त वर्ष में यात्री वाहनों की बिक्री में वृद्धि घटकर 11 से 13 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पहले इसमें 16-17 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था. उत्पादन में कमी के बीच इंतजार की अवधि बढ़ने के कारण उद्योग में सुधार की रफ्तार धीमी हो रही है.
ईटी में प्रकाशित खबर के मुताबिक, फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी का कहना है कि उनके पास डिमांड को पूरा करने के लिए वाहन नहीं है. छूट का सवाल तो तब उठता है जब हम धीमे बाजार में कुछ बेचने की कोशिश कर रहे हैं या प्रतिद्वंद्वी ब्रांड या डीलर के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ है नहीं.
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इस समय लोकप्रिय मॉडलों के लिए वेटिंग पीरियड 5-6 महीने का चल रहा है और कई मामलों में यह टाइम 12 महीने तक बढ़ जाता है. केवल एंट्री-लेवल कारों पर ऑफर दिया जाता है, जहां मांग में थोड़ी कमी होती है. अन्यथा, लगभग हर मॉडल पर वेटिंग लिस्ट होती है.
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