नवरात्रि के किस दिन देवी के कौन से स्वरूप कि की जाएगी उपासना
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नवरात्रि के किस दिन देवी के कौन से स्वरूप कि की जाएगी उपासना
चैत्र नवरात्रि का पर्व 2 अप्रैल से आरंभ हो रहा है। नवरात्रि के नौ दिन देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन 9 दिन देवी के भक्त कठिन व्रत और तपस्या करते हैं। भारत में चैत्र नवरात्रि का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन से हिंदू नववर्ष आरंभ होता है। यह हिंदुओं का वर्ष का सबसे प्रथम त्यौहार होता है। इसलिए इस पर्व में भक्तों का उत्साह अलग ही होता है। भक्त देवी के सिद्ध और बड़े बड़े मंदिरों में दर्शन करने के लिए जाते हैं। आज हम आपको देवी के नौ स्वरूपों के बारे में बताएंगे जिनकी नवरात्रि के नौ दिन उपासना की जाती है।
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चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस बार 2 अप्रैल को देवी शैलपुत्री की पूजा की जायेगी। यह नवरात्रि का प्रथम दिन होता है। इस दिन सभी लोग अपने घर में देवी की चौकी लगाते है और उसपर कलश की स्थापना करते है। इस दिन सभी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखते है। देवी शैलपुत्री दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल धारण करती है। देवी शैलपुत्री सर पर अर्धचंद्र धारण करती है।
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ज्ञान और दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करती है देवी ब्रह्मचारिणी। अबकी बार 3 अप्रैल को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जायेगी।
नवरात्रि के तीसरे दिन बाघ की सवारी करने वाली देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। यह देवी शांति का प्रतिनिधित्व करती है और साथ ही इनके माथे पर घंटे की आकृति में आधा चंदा विराजमान है। इसलिए इन्हें चंद्रघंटा देवी कहते है। इस बार चंद्रघंटा देवी की पूजा 4 अप्रैल को की जाएगी।
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवी कुष्मांडा ने संसार की रचना में योगदान दिया था। देवी कुष्मांडा सिंह की सवारी करती है और यह अपने हाथों में घातक अस्त्र शस्त्र धारण करती है। इस बार देवी कुष्मांडा की पूजा 5 अप्रैल को की जाएगी।
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नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवी स्कन्दमाता की गोद में उनके पुत्र स्कंद होते हैं। देवी स्कंदमाता अपने हाथों में कमल, कमंडल और घंटी धारण करती है। देवी स्कन्दमाता को उनके भक्तों की आत्मा को शुद्ध करने वाला माना जाता है। इस बार 6 अप्रैल को देवी स्कंदमाता की पूजा की जाएगी।
नवरात्रि के छठवें दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस बार 7 अप्रैल को भक्त देवी कात्यायनी की पूजा करेंगे। देवी कात्यायनी का रूप माँ पार्वती ने महिषासुर राक्षस का नाश करने के लिए धारण किया था।
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। यह देवी के नौ स्वरूपों में से सबसे भयंकर स्वरूप है। देवी कालरात्रि अपने एक हाथ में खड़क धारण करती है और दूसरे हाथ में खप्पर धारण करती है। इस बार देवी कालरात्रि की पूजा 8 अप्रैल को की जाएगी। जिन लोगों के घरों मे अष्टमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है वह आज के दिन उपवास रखते हैं।
नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। माता महागौरी शांति और पवित्रता का प्रतीक है। इस दिन कुछ परिवारों में कन्या पूजन किया जाता है। जिन भक्तों के घर में कन्या पूजन नवमी तिथि के दिन किया जाता है वह आज के दिन व्रत करते है। इस बार यह व्रत 9 अप्रैल को रखा जाएगा।
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नवरात्रि के अंतिम और नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था और इस दिन को रामनवमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन देवी के भक्त कन्या पूजन करते हैं। इसमें नौ कन्याओं को अपने घर बुलाते हैं उनके चरण धुलवाकर उन्हें अपने घर में आदर से भोजन कराते हैं और उसके बाद भेंट देकर उन्हें विदा करते हैं।
9 दिन के कठिन पूजा पाठ और व्रत के बाद भक्त कन्या पूजन करने के पश्चात देवी के प्रसाद को ग्रहण कर अपना व्रत खोलते हैं और देवी से उन पर सदा अपनी कृपा बनाए रखने के लिए प्रार्थना करते हैं।
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