इस तकनीक के तहत डॉ श्मिड और उनकी टीम के मेंबर्स के 3D होलोग्राम बनाए गए और उन्हें स्पेस स्टेशन पर ट्रांसमिट किया गया, जो अंतरिक्ष यात्रियों के साथ लाइव बातचीत के रूप में दिखाई दिया। नासा के मुताबिक, होलोपोर्टेशन कम्युनिकेशन, लोगों के हाई-क्वॉलिटी वाले 3D मॉडल्स को रियल टाइम में कहीं भी ट्रांसमिट करने की इजाजत देता है। अगर इसे माइक्रोसॉफ्ट के होलोलेन्स जैसे मिक्स्ड रियलिटी डिस्प्ले के साथ जोड़ा जाता है, तो यह तकनीक यूजर्स को 3D में लोगों को देखने, सुनने और बातचीत करने में सक्षम बनाती है। ऐसा लगता है कि जैसे वो सब एक ही जगह पर मौजूद थे।
ध्यान देने वाली बात यह है कि होलोपोर्टेशन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक नई नहीं है। Microsoft साल 2016 से इसे इस्तेमाल कर रही है। हालांकि नासा साल 2021 में अंतरिक्ष के एक्ट्रीम एनवायरनमेंट में होलोर्टेशन का इस्तेमाल करने वाली पहली एजेंसी है।
फ्लाइट सर्जन डॉ. जोसेफ श्मिड ने कहा है कि पृथ्वी से हजारों किलोमीटर दूर ऊंचाई पर यह मानव संचार का बिल्कुल नया तरीका है। भले ही शारीरिक रूप से हम वहां नहीं थे, लेकिन इंसानी तौर पर हम वहीं मौजूद थे।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों पर टू-वे कम्युनिकेशन के लिए इस तकनीक का बड़े स्तर पर इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। इसमें पृथ्वी से लोगों को अंतरिक्ष में होलोपोर्ट किया जाता है और अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर लाया जाता है। यह सब खासतौर पर चिकित्सा और लोगों की उनके परिवार वालों से मुलाकात के लिए कारगर है। नासा के मुताबिक इस तकनीक को ऑगमेंटेड रियलिटी के साथ कंबाइड करने की भी संभावना है।
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