11 मार्च को प्रक्रिया पूरी होने के बाद नासा ने टेलीस्कोप से ली गई इमेज को रिलीज किया है। इसने इमेज के सेंटर में शानदार स्पार्कलिंग डॉट को दिखाया है। नासा ने कहा है यह ऑब्जर्वेट्री दूर की चीजों से प्रकाश को सफलतापूर्वक इकट्ठा करने और इसे अपने उपकरणों तक पहुंचाने में सक्षम है।
एक बयान में नासा ने कहा है कि जेम्स वेब के सभी ऑप्टिकल पैरामीटर सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। हालांकि इस टेलीस्कोप के सेट होने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। अगले 6 हफ्तों में इंजीनियर बाकी चरणों को पूरा करेंगे। उम्मीद है कि गर्मियों तक जेम्स वेब का सेटअप पूरा हो जाएगा और 10 बिलियन डॉलर (लगभग 75,890 करोड़ रुपये) की यह ऑब्जर्वेट्री अपनी पूरी ताकत से काम कर पाएगी।
नासा में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के डिप्टी ऑप्टिकल टेलीस्कोप एलिमेंट मैनेजर ऋत्वा केस्की-कुहा ने कहा कि हमने एक तारे पर टेलीस्कोप को पूरी तरह से केंद्रित किया है। इसकी परफॉर्मेंस इसके फीचर्स को हरा रही है।
जेम्स वेब टेलीस्कोप का 21 फुट और 4 इंच का प्राइमरी मिरर एक रॉकेट के अंदर फिट होने के लिए बहुत बड़ा था। इसमें 18 हेक्सागोनल सेगमेंट हैं, जिन्हें रॉकेट में पैक किया गया। सिस्टम जब अपनी कक्षा में पहुंच गया, तो इन मिरर सेगमेंट और बाकी उपकरणों को जोड़ने का काम शुरू किया गया। सभी मिरर सेगमेंट को उनकी जगह पर रखकर एक सिंगल मिरर सर्फेस का निर्माण किया गया। इसी का इस्तेमाल अब तारों की रोशनी को कैप्चर करने के लिए किया जा रहा है।
जेम्स वेब टेलीस्कोप अंतरिक्ष में भेजी गई अब तक की सबसे बड़ी दूरबीन है। इसे पिछले साल क्रिसमस पर लॉन्च किया गया था। फरवरी में इसके मिरर्स को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई। शुरुआत में इसके द्वारा ली गईं इमेज धुंधली थी, लेकिन जैसे-जैसे मिरर्स को जोड़ने का काम आगे बढ़ा, इमेजेस बेहतर होने लगीं। फरवरी के आखिर में सभी 18 मिरर सेगमेंट ने एक तारे को कैप्चर करना शुरू कर दिया था। इसका परिणाम अब दिखाई देने लगा है।
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