नासा जिस रोवर और व्हीकल्स को इस मिशन में शामिल करने की योजना बना रही है, उनमें एक दबावयुक्त ‘हैबिटेबल मोबेलिटी प्लेटफॉर्म’ भी है, जो मिशन में शामिल क्रू को 45 दिनों तक ट्रांसपोर्ट कर सकता है। नासा की जरूरतों के अनुसार, चालक दल के व्हीकल को कम से कम एक दशक तक चलने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए। गाड़ी के डिजाइन भविष्य में मंगल ग्रह के तैयार होने वाले मिशन में भी मानक का काम करेगा।
इन चुनौतियों को देखते हुए अंतरिक्ष एजेंसियां, ऑटो मैन्युफैक्चरर्स को टिकाऊ रोवर डिजाइन करने के लिए आकर्षित कर रही हैं। चंद्रमा पर नासा के व्हीकल के लिए फिलहाल दो पार्टनरिशप आगे बढ़ी हैं। पहली साझेदारी जनरल मोटर्स और लॉकहीड मार्टिन के बीच है, जिसकी घोषणा पिछले साल मई में हुई थी। दूसरी साझेदारी Northrop Grumman, AVL, Intuitive Machines, Lunar Outpost और Michelin के बीच पिछले साल नवंबर में घोषित की गई थी।
कुछ ऐसा ही जापान में भी हो रहा है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने दो अलग-अलग लूनार ड्राइविंग प्रोजेक्ट्स के लिए निसान (Nissan) और टोयोटा (Toyota) के साथ पार्टनरशिप की है। दिसंबर में निसान ने एक मानव रहित चंद्र रोवर प्रोटोटाइप को अनवील किया था। वहीं, टोयोटा एक लूनार क्रूजर डिजाइन कर रही है। टोयोटा के अधिकारियों ने जनवरी में घोषणा की थी कि चंद्रमा पर क्रूजर की तैनाती के बाद कंपनी इसे मंगल ग्रह पर इस्तेमाल करने के अनुकूल बनाएगी।
टोयोटा मोटर के लूनार क्रूजर प्रोजेक्ट के हेड ताकाओ सातो ने कहा कि इस व्हीकल के पीछे यह आइडिया है कि लोग कारों में सुरक्षित रूप से खाते हैं, काम करते हैं, सोते हैं और दूसरों से कम्युनिकेट करते हैं। अंतरिक्ष के बाहर भी यही किया जाता है। यानी व्हीकल को इसी तर्ज पर तैयार किया जा रहा है।
नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के साइंटिस्ट पॉल नाइल्स कहते हैं कि निश्चित रूप से यह ऑटोमेशन में मदद करेगा और ऐसी साझेदारियां मिशन के लिए सहयोग करेंगी।