बीड़ी चढ़ाने से होती है सभी मान्यतायें पूरी, जाने कहाँ है ये मंदिर
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बीड़ी चढ़ाने से होती है सभी मान्यतायें पूरी, जाने कहाँ है ये मंदिर
भारत में आपने बहुत मंदिरों के बारे में सुना होगा और देखे भी होगा। कोई मंदिर अपनी नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है तो कोई अपनी बनावट के लिये। कोई मन्दिर मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए प्रसिद्ध है तो कई मंदिर ऐसा भी है जो भगवान को चढ़ाई जाने वाली वस्तु के लिये चर्चा में है। ऐसा ही एक मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड की 1400 फ़ीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर मूसहरवा बाबा मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में मान्यता है कि बाबा को बीड़ी चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
आप विश्वास करें या ना करें परंतु यह बात सच है यहां हर व्यक्ति को बीड़ी चढ़ानी पड़ती है। चाहे व्यक्ति कितना भी आम या खास क्यों न हो बीड़ी जरूर चढ़ानी पड़ती और जो लोग यहां आने के बाद ऐसा नही करते, मान्यता है कि उन लोगो के साथ अमंगल घटना घटित होती है।
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आपको बात दे दरअसल जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर 1400 फिट ऊंची पहाड़ी पर भभुआ अधौरा मुख्य मार्ग पर स्थित मुसहरवा बाबा का एक मंदिर है, जहां लोगों की मान्यता है कि पहाड़ी घाटी चढ़ने से पहले और चढ़ने के बाद मुसहरवा बाबा को बीड़ी चढ़ाना जरूरी है। इससे उनके रास्ते में आने वाले हर प्रकार के विघ्न बाधा दूर हो जाते हैं और लोग अपनी यात्रा सुरक्षित करते हैं। जिनके पास बीड़ी चढ़ाने के लिए नहीं होती है, वह मुसहरवा बाबा के दान पेटी में बीड़ी चढ़ाने के लिए पैसा डालते हैं फिर आगे बढ़ जाते हैं।
कुछ लोग ऐसे भी है जिनका रोज इससे रास्ते से आवागमन लगा रहता है तो वह लोग बताते है जब भी वह इस पहाड़ी से उतरते या चढ़ते है तो बीड़ी चढ़ा कर और कुछ देर विश्राम करकर ही अन्य कार्य के लिए या फिर अपनी यात्रा के लिये आगे बढ़ते है। उन लोगों का कहना है इससे उनका दिन बहुत ही अच्छा गुजरता है और चढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत या बाधा नही आती है।
बीड़ी चढ़ाने की प्रथा या नियम सिर्फ उस छेत्र के लोगों के लिए नही होता है बल्कि यूपी, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से आने वाले लोग भी अपने कुशल मंगल यात्रा के लिए मुसहरवा बाबा को बीड़ी चढ़ाते हैं। मंदिर के पुजारी बताते है जो लोग बाबा को बीड़ी नही चढ़ा पाते है ऐसे लोग बाबा का प्रसाद लेकर कुछ देर विश्राम करके जब अपनी यात्रा के लिए आगे बढ़ते है। कहते है बाबा के मंदिर में माथा टेकने से रास्ते में कोई भी अनहोनी घटना नही होती है कोई बाधा की स्तिथि हो भी तो वह टल जाती है।
यह प्रचलन काफी पुराना है लेकिन आज भी जिसे सभी लोग इसे निभाते नज़र आ रहे हैं और बाबा को बीड़ी चढ़ाकर आशीर्वाद लेने के बाद ही आगे का रास्ता तय करते हैं।
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