Astrology
lekhaka-Gajendra sharma
नई दिल्ली, 25 फरवरी। मूक-बधिर होना किसी अभिशाप से कम नहीं। कई बालक जन्म से ही मूक बधिर रह जाते हैं। वे न सुन पाते हैं न बोल पाते हैं। वास्तव में मूक-बधिर रह जाने के पीछे जन्मकुंडली में उपस्थित ग्रहों की स्थिति जिम्मेदार होती है। आइए जानते हैं वे ग्रह स्थितियां जिनके कारण बालक सुन-बोल नहीं पाता।
कुंडली में बधिर योग
- जिस जातक की कुंडली में शनि से चतुर्थ स्थान में बुध हो और षष्ठेश छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो।
- पूर्ण चंद्र और शुक्र ये दोनों शत्रुग्रह से युक्त हों।
- रात्रि का जन्म हो, लग्न से छठे स्थान में बुध और दसवें स्थान में शुक्र हो।
- बारहवें भाव में बुध, शुक्र दोनों हों।
- 3, 5, 9, 11 भावों में पापग्रह हों और शुभग्रहों की दृष्टि इन पर नहीं हो।
- षष्ठेश 6, 12वें स्थान में हो और शनि की दृष्टि न हो तो बालक बधिर होता है।
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मूक योग
- कर्क, वृश्चिक और मीन राशि में गए हुए बुध को अमावस्या का चंद्रमा देखता हो।
- बुध और षष्ठेश दोनों एक साथ स्थित हो।
- गुरु और षष्ठेश लग्न में स्थित हो।
- वृश्चिक और मीन राशि में पापग्रह स्थित हों एवं किसी भी राशि के अंतिम अंशों में व वृषभ राशि में चंद्र स्थित हो और पापग्रहों से दृष्ट हो तो जीवनभर के लिए मूक तथा शुभग्रहों से दृष्ट हो तो पांच वर्ष की आयु तक बालक मूक होता है।
- क्रूर ग्रह संधि में गए हों, चंद्रमा पापग्रहों से युक्त हो तो भी व्यक्ति गूंगा होता है।
- शुक्ल पक्ष का जन्म हो और चंद्रमा, मंगल का योग लग्न में हो।
- कर्क, वृश्चिक और मीन राशि में गया हुआ बुध चंद्र से दृष्ट हो, चौथे स्थान में सूर्य हो और छठे स्थान को पापग्रह देखते हो।
- द्वितीय स्थान में पापग्रह हो और द्वितीयेश नीच या अस्तगत होकर पापग्रहों से दृष्ट हो एवं सूर्य-बुध का योग सिंह राशि में किसी भी स्थान में हो।
- सिंह राशि में सूर्य-बुध दोनों एक साथ स्थित हो तो जातक मूक होता है।
English summary
In astrology 2nd house is known as the house of speech and 3rd house for communication. Know about Deaf and Dumb or Mook Yoga in Kundali in deatails.
Story first published: Friday, February 25, 2022, 7:00 [IST]