Mercedes के प्रोडक्शन चीफ Joerg Burzer ने Reuters को दिए इंटरव्यू में कहा कि कंपनी की फैक्टरियों में कुछ प्रोडक्शन लाइंस कुछ वर्षों में पूरी तरह EV पर शिफ्ट कर सकती हैं। उनका कहना था कि नई बैटरी-इलेक्ट्रिक व्हीकल फैक्टरी बनाने में समय लगता है। हमने अलग योजना बनाई है। उन्होंने बताया, “हम निश्चित तौर पर कुछ प्रोडक्शन लाइंस को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए रखेंगे। कुछ फैक्टरियां पूरी तरह इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भी बना सकती है। यह इस दशक के दूसरे हिस्से में हो सकता है।”
कंपनी अपने EQE मॉडल का प्रोडक्शन इस वर्ष के अंत में जर्मनी के ब्रेमेन प्लांट में शुरू करेगी। इसके बाद बीजिंग और टस्कालुसा के प्लांट्स में इसका प्रोडक्शन होगा। यह मॉडल मर्सिडीज की ई-क्लास का इलेक्ट्रिक वेरिएंट है। इसकी अधिकतम रेंज 660 किलोमीटर की है। इससे पिछले वर्ष IAA मोबिलिटी शो में पेश किया गया था। मर्सिडीज को इससे EV यूनिट की सेल्स बढ़ने की उम्मीद है। पिछले वर्ष मर्सिडीज की कुल सेल्स में बैटरी-इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की हिस्सेदारी लगभग 2.3 प्रतिशत की थी। प्लग-इन हाइब्रिड को जोड़ने पर यह आंकड़ा बढ़कर 11 प्रतिशत पर पहुंचा था। प्लग-इन हाइब्रिड में इंजन और बैटरी दोनों होते हैं। कंपनी को 2025 तक अपनी सेल्स में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों की हिस्सेदारी बढ़कर लगभग 50 प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद है। इनमें फुली इलेक्ट्रिक कारों की संख्या अधिक हो सकती है।
जर्मनी की इस बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी के मौजूदा इलेक्ट्रिक मॉडल्स को उन फैक्टरियों में बनाया जा रहा है जो इंटरनल कम्बश्चन इंजन व्हीकल्स का भी प्रोडक्शन करती हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए बैट्रीज को रेल के जरिए मेन प्लांट से जर्मनी और हंगरी में प्लांट्स तक पहुंचाया जाता है। कंपनी की योजना बैटरी असेंबली और प्रोडक्शन को प्लांट्स के पास लाने की है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के ग्लोबल मार्केट में टेस्ला की पहली पोजिशन है। हालांकि, लग्जरी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के सेगमेंट में अमेरिकी कंपनी टेस्ला को आने वाले वर्षों में मर्सिडीज से कड़ी टक्कर मिल सकती है। टेस्ला ने जर्मनी में अपनी फैक्टरी भी बनाई है। इसमें जल्द प्रोडक्शन शुरू हो सकता है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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