Wednesday, February 9, 2022
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Masik Durga Ashtami February 2022 – मासिक दु्र्गाष्टमी


मासिक दु्र्गाष्टमी
– फोटो : google

हर माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर मासिक दुर्गाष्टमी पड़ती है। मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व मां दुर्गा को समर्पित होता है।  मासिक दुर्गाष्टमी पर विधि- विधान से मां दुर्गा की उपासना की जाती है। 

लेकिन माघ माह की दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्रि के कारण माघ माह की दुर्गा अष्टमी का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन जो साधक साधना करते हैं उनकी हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है। मां दुर्गा अपने भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को पूरे समर्पण के साथ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन देवी के कई मंत्रों का जप करना और दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है |

मासिक दुर्गा अष्टमी की तिथि

अष्टमी तिथि आरंभ: 8 फरवरी, मंगलवार, प्रातः 06:15 मिनट से

अष्टमी तिथि समाप्त: 9 फरवरी, बुधवार, प्रातः 08:30 मिनट पर

मासिक दुर्गाष्टमी पूजा- विधि:

  • इस दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
  • मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
  • माँ दुर्गा के 32 नाम का धीरे धीरे उच्चारण करे |
  • धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
  • माँ को बताशे और लौंग का जोड़ा चढ़ाए |
  • मां को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
  • माँ की कपूर की आरती पूरे घर में दिखाए और उनसे अपने घर की सुख शांति की विनती करे |
  • अष्टमी तिथि के दिन दुर्गा सप्तशती के उत्तम चरित्र का पाठ करना बहुत ही कल्याणकारी माना गया है। दुर्गा सप्तशती का यह चरित्र देवी महासरस्वती का माना गया है। इसमें महासरस्वती की स्तुति को 9 अध्यायों में वर्णित की गई है, जो महाकाली और महालक्ष्मी से अधिक सिद्ध करती हैं। मान्यता है कि अष्टमी तिथि के दुर्गा सप्तशती इस चरित्र का पाठ करने से अन्न, धन, यश, कीर्ति आदि की प्राप्ति होती है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

ज्योतिष के अनुसार जिन कन्या के विवाह में विलम्ब होता है | किसी कारणवंश उनकी शादी में  अड़चनें आती है | उनको भी दूर्गा अष्टमी का पूजन करना चाहिए | माँ दुर्गा को सिंदूर अर्पित करके उनसे विनती करे | माँ  जरूर  सुनती है और विवाह में आ रही रुकावट को  दूर करती है|

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था। उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे। दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से विनती कि वो इस परेशानी का हल निकालें। इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया। इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया। जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है। 

नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए ‘नवार्ण मंत्र’— ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ सबसे श्रेष्ठ है। नवार्ण नौ अक्षरों वाला मंत्र है। इसका हरेक-अक्षर मां दुर्गा की एक शक्ति से संबंधित है। साथ ही एक-एक ग्रह से भी इनका संबंध है।

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