Friday, March 11, 2022
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Manglik Kundali: तीन प्रकार की होती हैं मंगलीक जन्मकुंडली, जानिए क्या होता है प्रभाव?


Astrology

lekhaka-Gajendra sharma

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नई दिल्ली, 10 मार्च। जब भी किसी युवक-युवती के विवाह की बात आती है तो हिंदू परिवारों में सबसे जन्मकुंडली मिलवाई जाती है। इसमें भी प्रमुखता से मंगलीक कुंडली का विचार किया जाता है। यदि युवक या युवती में से किसी एक की कुंडली मंगलीक होती है तो विवाह नहीं किया जाता है। विवाह के लिए दोनों कुंडली का मंगलीक होना आवश्यक है। क्या आप जानते हैं मंगलीक कुंडली भी तीन प्रकार की होती है। और इन तीनों का ही अपना-अपना प्रभाव होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलीक कुंडलियां तीन प्रकार की होती हैं। सामान्य मंगलीक पत्रिका, द्विबल मंगलीक पत्रिका और त्रिबल मंगलीक पत्रिका।

मंगलीक कुंडली

जब किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में से किसी भी भाव में होता है तो कुंडली मंगलीक होती है।

द्विबल मंगलीक कुंडली

जब किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में होने के साथ-साथ अपनी नीच राशि कर्क का भी हो तो मंगल का दुष्प्रभाव दोगुना हो जाता है। अथवा 1, 4, 7, 8, 12वें भावों में मंगल के अलावा सूर्य, शनि, राहु-केतु में से कोई ग्रह बैठा हो तो जन्मकुंडली द्विबल मंगलीक हो जाती है।

त्रिबल मंगलीक कुंडली

जब किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में होने के साथ-साथ अपनी नीच राशि कर्क का हो तथा इन्हीं भावों में शनि, राहु, केतु भी बैठे हों तो मंगल का दुष्प्रभाव तीन गुना हो जाता है। ऐसी जन्मकुंडली त्रिबल मंगलीक कहलाती है।

English summary

There are three types of Manglik Kundali, know what is the effect.

Story first published: Thursday, March 10, 2022, 7:00 [IST]



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