Makar Sankranti 2022: समस्त शक्तियों के जनक सूर्य हैं और मकर संक्रांति के दिन सूर्य पूजा व्यक्ति को जीवन में नवीन ऊर्जा, शक्ति, तेजस्विता और आरोग्य प्रदान करती है. जड़ता, आलस्य और हीन भावनाएं सूर्य के प्रचंड ताप से भस्म हो जाती है.
सूर्य साधना से आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है. मनुष्य का शरीर अपने आप में सृष्टि के सारे क्रम को समेटे हुए है और जब वह क्रम बिगड़ जाता है तो शरीर में दोष उत्पन्न होने लगते हैं. जिसके कारण व्याधि, पीड़ा, बीमारी का आगमन होता है, मन के भीतर दोष उत्पन्न होते हैं. जिससे मानसिक इच्छा शक्ति व बुद्धि क्षीर्ण होती है. इन दोषों का नाश सूर्य तत्व को जाग्रत करके किया जा सकता है. सूर्य तत्व को जाग्रत करने का सबसे उत्तम और शुभ अवसर है, मकर संक्रांति जो 14 जनवरी 2022 को है. इस दिन आप भी इस साधना को संपन्न करें और रोगों से मुक्ति पाकर आरोग्य जीवन प्राप्त करें.
क्या कारण है कि एक मनुष्य उन्नति के शिखर में पहुंच जाता है ? और एक मनुष्य पूरे जीवन सामान्य ही बना रहता है. दोनों में भेद शरीर में जाग्रत सूर्य तत्व का है. नाभि चक्र, सूर्य चक्र का उद्गम स्थल है और यह अवचेतन मन के संस्कार तथा चेतना का प्रधान केंद्र है. शक्ति का स्त्रोत बिंदु है. साधारण मनुष्यों में यह तत्व सुप्त होता है. न तो इसकी शक्ति का सामान्य व्यक्ति को ज्ञान होता है, और न ही वह उसका लाभ उठा पाता है. बाहर का सूर्य अनन्त शक्ति का स्त्रोत है और इसको जब भीतर के सूर्य चक्र से जोड़ दिया जाता है. तब साधारण मनुष्य भी अनन्त शक्तियों का अधिकारी बन जाता है तो रोग, बाधाएं उस मनुष्य के पास आ ही नहीं सकती. बाहर का सूर्य तो साल के 365 दिन जाग्रत है. लेकिन इसके सहयोग से भीतर के सूर्य तत्व को कुछ विशेष मुहूर्तों में जाग्रत किया जा सकता है.
मकर संक्रांति पर रोग निवारण के लिए सूर्य शांति का विशेष उपाय कर सकते है. शास्त्रों में वर्णित हैं कि शरीर के हर अंग का कारक कोई न कोई ग्रह होता है. उसी तरह हर ग्रह कमजोर स्थिति में कुछ विशेष रोग भी देते हैं. कुंडली में सूर्य को आत्मा, नेत्र, कुष्ठ रोग, उदर रोग, सफेद दाग, हृदय रोग आदि का कारक माना गया है. सूर्य ग्रह दूषित होने पर व्यक्ति को इससे संबंधित कोई न कोई रोग अवश्य होता है. यदि आप भी उपरोक्त किसी रोग से ग्रस्त हैं तो यह साधना आपकी रोग मुक्ति में अवश्य ही सहायक होगी.
कैसे करें पूजा
- मकर संक्रांति को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक साधना संपन्न कर सकते हैं.
- साधना से पूर्व स्नान आदि कर लें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें.
- तांबा के पात्र में जल भरें और उसमें कुमकुम और लाल रंग का फूल डाल कर सूर्यनारायण को अर्घ्य दें.
- ग्रहराज सूर्यदेव से प्रार्थना करें कि वह आपकी अभिलाषा को पूर्ण करें.
मकर संक्रांति पर स्नान दान का बहुत ही महत्व है. इसे तुलसी दास जी ने कुछ इस तरह से बताया है-
माघ मकरगत रबि जब होई । तीरथपतिहिं आव सब कोई ।।
देव दनुज किंनर नर श्रेनीं । सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं ।।
अर्थ- माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं. देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं.
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